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भोपाल : वन, जलवायु और जनजातीय आजीविका पर राष्ट्रीय कार्यशाला, वन नीति पर सीएम बोले- हम मदद कर रहे या कष्ट बढ़ा रहे हैं…

भोपाल। मध्यप्रदेश के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में वन पुनर्स्थापना, जलवायु परिवर्तन और समुदाय-आधारित आजीविका जैसे ज्वलंत विषयों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन नरोन्हा प्रशासन अकादमी में किया जा रहा है। इस कार्यशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ने किया।

टाइगर रिजर्व बना दिए, सैंक्चुरी बना दी – सीएम

 कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने संबोधन में वन नीति की वर्तमान कार्यप्रणाली पर कहा कि हमने टाइगर रिजर्व बना दिए, सैंक्चुरी बना दी, लेकिन जैसे ही क्षेत्र सीमित हुए, सबसे पहले लोगों को वहां से हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई- यही संकट की जड़ है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की पीढ़ियों से जंगलों के साथ एक जैविक रिश्ता रहा है। आज शासन का हस्तक्षेप अगर आजीविका को प्रभावित कर रहा है, तो हमें यह विचार करना होगा कि हम उनके लिए मददगार साबित हो रहे हैं या उनके कष्ट बढ़ा रहे हैं।

इन बातों पर दिया जोर

कार्यशाला में वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, ऋतु चक्र में असंतुलन, और जैव विविधता में गिरावट जैसे संकटों का समाधान हमारी भारतीय परंपरा, विशेषकर जनजातीय जीवन दर्शन में ही निहित है। नदियों का प्रदूषण, बढ़ता तापमान, पिघलते ग्लेशियर और विलुप्त होते जीव-जंतु इस बात के संकेत हैं कि अब समावेशी और संवेदनशील नीति निर्माण का वक्त आ गया है।

समापन सत्र में राज्यपाल मंगुभाई पटेल की उपस्थिति

कार्यशाला के समापन सत्र  में राज्यपाल मंगुभाई पटेल मुख्य अतिथि होंगे, वहीं पूर्व जनजातीय आयोग अध्यक्ष हर्ष चौहान समापन वक्तव्य देंगे। इस मौके पर वनों पर केंद्रित डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का प्रदर्शन भी किया जाएगा।

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