
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ बोर्ड की सदस्यता से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति तभी राज्य वक्फ बोर्ड का सदस्य बन सकता है, जब वह दो जरूरी शर्तों को पूरा करता हो। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने कहा कि- ‘पहली शर्त यह है कि व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए। और दूसरा कि वह संसद, राज्य विधानसभा या बार काउंसिल का सक्रिय सदस्य होना चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले को भी पलट दिया जिसमें यह कहा गया था कि वक्फ कानून में यह स्पष्ट नहीं है कि बार काउंसिल से बाहर होने पर वक्फ बोर्ड की सदस्यता खत्म मानी जाएगी या नहीं।
मणिपुर वक्फ बोर्ड की नियुक्ति पर हुआ था विवाद
यह मामला मणिपुर के मोहम्मद फिरोज अहमद खालिद से जुड़ा है, जिन्हें फरवरी 2023 में मणिपुर वक्फ बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया था। खालिद ने दिसंबर 2022 में बार काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद वक्फ बोर्ड की सदस्यता ली थी। वह उस व्यक्ति की जगह आए थे, जो चुनाव हार गया था।
इस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने खालिद की नियुक्ति को वैध बताया। लेकिन डिवीजन बेंच ने इस फैसले को पलट दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि बार काउंसिल की सदस्यता खत्म होने पर वक्फ बोर्ड की सदस्यता भी समाप्त मानी जाएगी।
वक्फ बोर्ड के पास अरबों की संपत्ति
देशभर में कुल 32 राज्य वक्फ बोर्ड हैं। केंद्र सरकार के अनुसार, 2022 तक देश में 8,65,644 वक्फ की अचल संपत्तियां दर्ज थी। इनमें सबसे ज्यादा अचल संपत्तियां उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड के पास हैं- करीब दो लाख से ज्यादा।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक, 2009 के बाद वक्फ संपत्तियों की संख्या दोगुनी हो गई है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में लोकसभा में बताया था कि वक्फ की कुल जमीन करीब 9.4 लाख एकड़ है जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपए है।
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