
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को स्थगित लड़ने का फैसला लिया था। गुरुवार देर रात इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए भारत ने पाकिस्तान को चिट्ठी भेजी। दरअसल, यह पत्र भारत के जल शक्ति मंत्री सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव मुर्तजा को पत्र लिखा। पत्र में भारत ने लिखा कि ‘यह संधि अच्छे संदर्भ में की गई थी। लेकिन अच्छे रिश्तों के बिना इसे बनाए नहीं रखा जा सकता।’
बता दे कि पहलगाम के बैसारन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकियों ने 27 टूरिस्ट की हत्या कर दी थी। साथ ही करीब 17 लोग घायल भी थे। इस घटना के बाद भारत ने यह फैसला लिया।
पाकिस्तान ने किया संधि का उल्लंघन
भारत ने पाकिस्तान को पत्र लिखा, जिसमें सिंधु जल संधि को लेकर कुछ अहम् चीजें लिखी गई थी।
- भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान सरकार को नोटिस भेजा जा रहा है। जिसमें संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत सिंधु जल संधि 1960 में संशोधन की मांग की गई है। इस लेटर में उन मुद्दों का हवाला दिया गया है जिसके चलते समझौते पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है।
- संधि के बाद से अब तक जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में क्लीन एनर्जी डेवलपमेंट में तेजी लाने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी हो जाते हैं।
- किसी भी समझौते में सबसे जरूरी होता है कि उस संधि का सम्मान किया जाए। इसके बजाय पाकिस्तान की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी है।
- सुरक्षा से जुड़ी अनिश्चितताओं ने संधि के तहत भारत के अपने अधिकारों को बाधित किया है। इसके अलावा भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। इस प्रकार उसने संधि का उल्लंघन किया है।
- इसलिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है।
1960 में हुआ था सिंधु जल समझौता
सिंधु जल संधि समझौता 1960 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुआ था। इसमें सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया था। पूर्वी हिस्से की नदियों रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है। पश्चिमी हिस्से की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का 20% पानी भारत रोक सकता है।
पाकिस्तान ने भारत को दी चेतावनी
24 अप्रैल को इस्लामाबाद में पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NCS) की अहम बैठक हुई। इस बैठक में पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को फिलहाल स्थगित करने का फैसला किया है, जिसमें 1972 का शिमला समझौता भी शामिल है।
पाकिस्तान ने साफ कहा कि अगर भारत सिंधु जल संधि को रोकता है, तो इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ यानी एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा। साथ ही पाकिस्तान ने यह भी कहा कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा को किसी भी खतरे का हर मोर्चे पर जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान ने आतंकवाद की किसी भी घटना की आलोचना भी की।
पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, बैठक में यह भी कहा गया कि भारत में वक्फ बोर्ड से जुड़ा विधेयक जबरदस्ती पास किया गया, जिसे मुसलमानों को हाशिए पर डालने की कोशिश बताया गया।
भारत के 5 कड़े फैसलों से तिलमिलाया पाकिस्तान
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 5 अहम फैसले लिए, जिससे पाकिस्तान तिलमिला उठा। उन फैसलों में शामिल है…
- सिंधु जल समझौते को स्थगित करने की घोषणा की।
- पाकिस्तान से व्यापार पर पूरी तरह रोक लगाने का फैसला लिया।
- SAARC क्षेत्रीय सहयोग पर भारत की भागीदारी सीमित की।
- पाकिस्तान उच्चायोग के स्टाफ में कटौती की।
- पाकिस्तान को आतंकवाद पर कठोर जवाब देने की चेतावनी दी।
इन फैसलों के बाद पाकिस्तान ने एनसीएस की आपात बैठक बुलाई। जिसमें शिमला समझौते को स्थगित करने की बात कही गई। 1972 में हुआ शिमला समझौता भारत-पाक के रिश्तों की आधारशिला माना जाता है। इस समझौते के तहत, दोनों देश आपसी विवाद शांति और द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाएंगे। इसके साथ ही, किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं होगी। युद्ध बंदियों की रिहाई और क्षेत्रीय संतुलन की बहाली होगी।
ये भी पढ़ें- पहलगाम हमले में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के 2 आतंकियों पर कार्रवाई, एक का घर बम से उड़ा, दूसरे के मकान पर चला बुलडोजर