
तेलंगाना और हरियाणा के बाद अब आंध्र प्रदेश ने भी अनुसूचित जातियों (SC) कोटे में सब-कोटा लागू कर दिया है। राज्य सरकार ने गुरुवार को एक अध्यादेश जारी किया, जिसके तहत SC समुदाय की 59 जातियों को तीन ग्रुप में बांटकर अलग-अलग आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद आया है जिसमें राज्यों को SC-ST आरक्षण में आंतरिक वर्गीकरण की अनुमति दी गई थी।
तीन ग्रुप बनाए गए, अलग-अलग प्रतिशत में मिलेगा आरक्षण
आंध्र प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए अनुसूचित जातियों को तीन समूहों में बांटा है। ग्रुप-I में चंदाला, पाकी, रेल्ली, डोम जैसी 12 जातियों को रखा गया है जिन्हें 1% आरक्षण मिलेगा। ग्रुप-II में चमार, मादिगा, सिंधोला, मातंगी जैसी जातियों को रखा गया है, जिन्हें 6.5% आरक्षण मिलेगा। वहीं ग्रुप-III में माला, अदि आंध्र और पंचमा जैसी जातियों को शामिल किया गया है, जिन्हें 7.5% आरक्षण का लाभ मिलेगा।
राज्य सरकार ने एक सदस्यीय आयोग से ली थी रिपोर्ट
इस सब-कोटा की सिफारिश पिछले साल बनाए गए एक सदस्यीय आयोग ने की थी। दिसंबर 2023 में रिटायर्ड IAS अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा को इस उद्देश्य के लिए नियुक्त किया गया था। आयोग ने 2011 की जनगणना के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेजी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर अब यह फैसला लिया गया है।
तेलंगाना और हरियाणा पहले ही लागू कर चुके हैं व्यवस्था
तेलंगाना ने इसी साल 14 अप्रैल को तीन ग्रुप बनाकर SC आरक्षण का पुनर्वितरण किया था। राज्य सरकार ने इसके लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज शमीम अख्तर की अध्यक्षता में एक कमीशन गठित किया था। वहीं हरियाणा में नायब सिंह सैनी की सरकार बनने के बाद पहली ही कैबिनेट मीटिंग में SC और ST कोटे में आंतरिक वर्गीकरण का फैसला लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 20 साल पुराना फैसला
1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्यों को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर सब-क्लासिफिकेशन का अधिकार दे दिया। सात जजों की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया और 2004 में आए ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश केस के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि SC जातियों को आंतरिक तौर पर विभाजित नहीं किया जा सकता। नए फैसले का उद्देश्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी जातियों तक आरक्षण का लाभ सही तरीके से पहुंचाना है।