
नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य से जुड़े आरोपों को लेकर गंभीर दलीलें पेश कीं। कोर्ट में हुई चौथी सुनवाई के दौरान ED ने कहा कि पहली नजर में यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का बनता है और सोनिया-राहुल इसमें आरोपी माने जा सकते हैं।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में सुनवाई हुई, जहां एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू और उनके सहायक जोहैब हुसैन ने आरोपों को स्पष्ट किया।
ED की दलील – “एजेएल के शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर करना धोखाधड़ी”
जोहैब हुसैन ने कोर्ट में कहा कि एक बार जब शेयर जारी हो जाते हैं, तो वह संपत्ति बन जाते हैं। ऐसे में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के शेयरों को यंग इंडियन को ट्रांसफर करना एक साजिश और धोखाधड़ी थी। उन्होंने कहा कि इस ट्रांजैक्शन से ‘यंग इंडियन’ को AJL की सारी संपत्ति का लाभ मिला, जो कि मनी लॉन्ड्रिंग के अंतर्गत आता है।
कोर्ट का सवाल – “क्या कंपनी से कंपनी में शेयर ट्रांसफर अपराध है?”
कोर्ट ने बहस के दौरान एक अहम सवाल उठाया – “क्या एक कंपनी से दूसरी कंपनी को शेयर ट्रांसफर करना अपने आप में अपराध माना जा सकता है?” इस पर कोर्ट ने संतुलित रुख अपनाते हुए कहा कि हर कॉर्पोरेट गतिविधि को मनी लॉन्ड्रिंग नहीं कहा जा सकता, लेकिन अगर उसमें धोखाधड़ी का तत्व है, तो इसे अपराध माना जा सकता है।
2 से 8 जुलाई तक रोज़ाना होगी सुनवाई
कोर्ट ने दोनों पक्षों की प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि इस मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई से 8 जुलाई के बीच रोज़ाना की जाएगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि वह इस बात पर गौर कर रहा है कि क्या मामले का संज्ञान लिया जाए।
सुब्रमण्यम स्वामी को आरोपपत्र की प्रति देने के आदेश
अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय को निर्देश दिया कि वह अपने द्वारा दाखिल किए गए आरोपपत्र की एक प्रति भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी को भी उपलब्ध कराए, जिन्होंने इस मामले को 2012 में उठाया था। कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला स्वामी की निजी शिकायत के आधार पर शुरू हुआ था, इसलिए उन्हें आरोपपत्र पढ़ने का अधिकार है।
2012 से चल रहा है मामला
नेशनल हेराल्ड केस की शुरुआत 2012 में हुई थी, जब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि यंग इंडियन लिमिटेड के जरिए कांग्रेस नेतृत्व ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्ति को हड़पने की कोशिश की है। उनकी 26 जून, 2014 को दायर शिकायत पर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने संज्ञान लिया और उसके बाद ED ने 2021 में जांच शुरू की। हाल ही में एजेंसी ने अदालत में अपना आरोपपत्र दाखिल किया है।