
अनुज मैना/भोपाल। भारतीय संसद हमले के मास्टर माइंड गाजी बाबा का 2003 में एनकाउंटर करने वाले रिटायर्ड बीएसएफ डीआईजी नरेंद्रनाथ धर दुबे द्वारा अपनी टीम के साथ एनकाउंटर कर दिया जाता है। इस ऑपरेशन में नरेंद्र नाथ धर दुबे को सात गोलियां लगीं थीं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए और एक गोली अभी भी उनके शरीर के अंदर है। इस ऑपरेशन के रियल हीरो पर अब फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ आ रही है, जो कि 25 अप्रैल को रिलीज होगी। नरेंद्र नाथ धर दुबे एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भोपाल आए। इस दौरान उन्होंने पीपुल्स समाचार से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने एनकाउंटर ऑपरेशन के साथ एनआईए के गठन में अपनी भूमिका और फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ को लेकर बात की।
प्रश्न- गाजी बाबा को पकड़ने के लिए जो ऑपरेशन चलाया था, उसके लिए आपको इनपुट कैसे मिला?
जवाब- पार्लियामेंट अटैक के बाद गाजी बाबा गंदरवाल और तराल क्षेत्र में अपने हैराउट बना रखे थे, जिसमें वहा छिपा हुआ था। 2003 में उसने अपना खुफिया अड्डा श्रीनगर सिटी में शिफ्ट कर लिया और अर्बन एरिया के अंदर किलिंग करने लगा। हम जिन आतंकवादियों को पकड़ते थे, तो वह वायरलेस के जरिए जो भी बातें करते थे उन्हें सुनकर हम उस डेटा को नोट करते थे। उस डेटा से हमे क्लू मिला कि गाजी बाबा श्रीनगर सिटी से लगातार बात कर रहा है। उस डेटा को नक्शे पर उतारने के बाद तीन बार सर्चिंग की, लेकिन गाजी बाबा तीनों बार घेराबंदी तोड़कर भागने में कामयाब रहा।
संयोग ये रहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के श्रीनगर आगमन के दौरान आतंकियों ने प्लानिंग की कि हमें फिदायीन (सुसाइडर) हमला करना है कही। उस हमले से पहले हमारी पैट्रोलिंग पार्टी ने अंसार नाम के सुसाइडर जिंदा पकड़ लिया। उसके इंट्रोगेशन में हमें पता चला कि वह गाजी बाबा का डिप्टी चीफ था। पूछताछ के बाद 28 अगस्त 2003 की रात हमने उसके अड्डे पर छापा मारा और गोला-बारूद बरामद किया। छापे के बाद उस मकान मालिक और घर को डिजाइन करने वाले कारपेंटर से पूछताछ की, जिसमें गाजी बाबा के एक्चुअल अड्डे का पता लगा। प्रधानमंत्री वाजपेयी 27 और 28 अगस्त को जम्मू में रहे और 27 से 30 अगस्त लगातार यह ऑपरेशन चला। वाजपेयी जहां रूके थे उससे मात्र तीन किमी दूर ही हम ऑपरेशन चला रहे थे। 29 और 30 अगस्त की रात को हम गाजी बाबा के अड्डे पर पहुंचे और उसका एनकाउंटर किया।
प्रश्न- गाजी बाबा को पकड़ने के लिए पहले भी तीन ऑपरेशन फेल हो चुके थे, चौथे ऑपरेशन में क्या परेशानियां आईं और उसे कामयाब बनाने के लिए गोपनीयता किस तरह बनाए रखी?
जवाब- ऑपरेशन को गोपनीय बनाए रखने के लिए हमने सादे कपड़ों में एक सेंट्रो कार में उसके अड्डे की रैकी की और 29-30 अगस्त की दरम्यिानी रात करीब 3.30 बजे गाजी बाबा के अड्डे पर पहुंचे और अपनी गाड़ियों को भी दूर खड़ा कर दिया और पैदल ही अड्डे तक चलकर गए। बीएसएफ के जवान बाउंड्री से कूदकर अंदर गए और दरवाजा खोला ताकि किसी को सतर्क होने का मौका भी नहीं मिले। हमने रात 3.30 बजे का समय इसलिए चुना क्योंकि तब सभी लोग सो रहे होते हैं। इस आॅपरेशन में मुझे भी सात गोलियां लगीं थीं। एक गोली अभी मेरे शरीर के अंदर है।
प्रश्न- आपके पास एक कमेंडेशन डिस्क रखा हुआ है, उसकी कहानी क्या है?
जवाब- उस रात मैंने डायरेक्टर जनरल का कमेंडेशन डिस्क पहना हुआ था, जो करीब 1 इंच का स्टील प्लेट का होता है। वह मैंने पैरा जैकेट के अंदर एक्चुअल यूनिफॉर्म पर लगा हुआ था। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने यूनिफॉर्म को निकाल कर घर वालों को दे दिया, जब उसे धुला तो उसकी पिन यूनिफॉर्म धोने वाले के हाथ में चुभी। उस पूरी प्लेट ने पूरा एक बस्क लिया था एके-47 का। वह पूरी प्लेट क्रश हो गई थी। उसने तीन गोलियां डिफलेक्ट कर दी। शायद वह गोलियां डायवर्ट नहीं होती, तो मेरा बचना भी मुश्किल हो जाता। वह डिस्क अभी भी मेरे पास रखा हुआ है।
प्रश्न- एनआईए के गठन में आपकी क्या भूमिका रही?
जवाब- 2008 में जब एनआईए का गठन हुआ तो उसमें मुझे भी शामिल किया गया। एनआईए गठन ही इंटेलिजेंस नेटवर्क के लिए किया गया। मेरा इंटेलिजेंस नेटवर्क भी अच्छा तो मुझे उसमें लिया गया। मैं पहला और एकमात्र बीएसएफ अफसर हूं, जिसका चयन एनआईए के लिए हुआ।
प्रश्न- आपके ऊपर फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ आ रही है, क्या उसकी कहानी रियल या फिल्म के लिए कुछ बदलाव किए गए?
जवाब- फिल्म ‘ग्राउंड जीरो’ के लिए प्रोडक्शन हाउस और राइडर ने अच्छा काम किया। उन्होंने मुझसे भी गहराई के साथ बात की और स्क्रिप्ट को तैयार किया। बीएसएफ ने फिल्म की शूटिंग में सपोर्ट किया। फिल्म के कई हिस्से बीएसएफ कैंपस में भी फिल्माए गए। फिल्म के क्रू को बीएसएफ ने ट्रेंड किया। उन्हें यूनिफॉर्म पहनने से लेकर बंदूक पकड़ने और बीएसएफ के अन्य नियम भी सिखाए। मैंने फिल्म को देखा है, इमरान हाशमी ने भी उसमें अच्छा अभिनय किया, जिसकी मैंने इमरान से सराहना की। फिल्म 25 अप्रैल से आप भी सिनेमाघरों में देख सकेंगे।
प्रश्न- गाजी बाबा ऑपरेशन के बाद आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आए?
जवाब- इस ऑपरेशन में मुझे सात गोलियां लगीं, जिसके बाद मेरी तीन सर्जरी हुर्इं। एक गोली अभी भी शरीर के अंदर है, जिसकी वजह से मुझे 24 घंटे में 14 से 16 बार वॉशरूम जाना पड़ता है। एमआरआई भी नहीं करवा सकता। हाथ सही तरीके से काम नहीं करता है।
प्रश्न- वर्तमान में आप कश्मीर में क्या बदलाव देखते हैं, धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में कोई बदलाव आया है?
जवाब- कश्मीर में धारा 370 का इफेक्ट तो था। अब एनआईए जिस तरह वहां काम कर रहा है। यूएपीए के तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं। यह पहले भी हो सकता था, लेकिन अब बेहतर काम हो रहा है। पहले के मुकाबले अब आतंकी हमले भी काफी कम हो गए हैं। हमारे समय तो हर दिन ही आतंकी हमले होते थे। कश्मीर के लोग शांति चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान लगातार घटनाएं करवाता था। अब यह बंद हो गया है। आने वाले समय में पीओके भी हमारा होगा, क्योंकि पाकिस्तान ने वह हमसे चुराया है।