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Nagdwari Yatra : साल में सिर्फ 10 दिन खुलता है रहस्यमयी नागद्वारी मंदिर, श्रद्धालुओं को करनी होती है 7 पहाड़ियों से 15 किमी की कठिन यात्रा

- सतपुड़ा की गोद में अद्भुत आस्था का पर्व, पचमढ़ी में 19 जुलाई से लगेगा 10 दिवसीय नागद्वारी मेला

पचमढ़ी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की वादियों में स्थित नागद्वारी गुफा मंदिर एक बार फिर भक्तों की आस्था का केंद्र बनने जा रहा है। इस साल 19 जुलाई से 29 जुलाई तक 10 दिवसीय नागद्वारी मेला आयोजित किया जाएगा। नागपंचमी पर्व के अवसर पर साल में सिर्फ यही एक मौका होता है जब यह रहस्यमयी मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु प्रकृति की कठिन राहों से गुजरते हुए नाग देवता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।

15 किमी की पहाड़ी यात्रा का रहता है रोमांच

नागद्वारी मंदिर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अत्यंत संवेदनशील और संरक्षित क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर साल में केवल 10 दिनों के लिए खुलता है, जब नागपंचमी के आसपास भक्तों को यहां आने की अनुमति दी जाती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 7 पहाड़ियों को पार कर 15 किलोमीटर लंबी दुर्गम पैदल यात्रा करनी होती है। यह यात्रा इतनी चुनौतीपूर्ण होती है कि भक्तों को दो दिन लग जाते हैं आने-जाने में। । कई जगहों पर रास्ते ऐसे होते हैं, जिसे देखकर आदमी का हिम्मत जवाब दे देता है।

चिंतामणि गुफा से लेकर स्वर्ग द्वार

नागद्वारी मंदिर परिसर में चिंतामणि नामक एक गुफा है, जिसकी लंबाई लगभग 100 फीट है। इस गुफा में नागदेव की अनेक मूर्तियां स्थापित हैं। इसके अलावा स्वर्ग द्वार नामक एक अन्य गुफा भी पास में स्थित है, जहां भी नागदेव की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इतना ही नहीं, रास्ते में दिखने वाले विषैले सांप भी श्रद्धालुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते, यह भी एक रहस्यमयी अनुभव है।

अमरनाथ जैसी है नागद्वारी की यात्रा

नागद्वारी की यात्रा को उसकी कठिनता और आध्यात्मिक महत्ता के कारण अमरनाथ यात्रा की तरह ही माना जाता है। अमरनाथ जहां बर्फीले पहाड़ों से होकर गुजरने की यात्रा है, वहीं नागद्वारी सतपुड़ा की हरियाली और सर्पाकार पगडंडियों से होकर जाती है। दोनों यात्राओं में प्रकृति के सौंदर्य और भक्ति का गहरा संगम देखने को मिलता है

काजल से पूजा और कालसर्प दोष से मुक्ति

गोविंदगिरी पर्वत की गुफा में स्थित शिवलिंग पर काजल चढ़ाने की विशेष परंपरा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यह करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नागद्वारी यात्रा विशेष रूप से सावन के महीने में शुभ मानी जाती है और इसे श्रद्धालुओं द्वारा जीवन में एक बार अवश्य करने योग्य धार्मिक अनुष्ठान माना जाता है।

बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद

हर साल सावन महीने में नागपंचमी के 10 दिन पहले से ही नागद्वारी की यात्रा शुरू हो जाती है। विशेषकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

इस बार नागद्वारी मेले में 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इसे देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं के पुख्ता इंतजाम के निर्देश दिए हैं। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में स्थित इस मंदिर तक श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाए रखने के लिए रिजर्व गेट को तय समय के अनुसार ही खोला जाएगा।

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