
नेपीदा। म्यांमार में शुक्रवार से अब तक लगातार कई भूकंप आ चुके हैं, जिससे देश में भारी तबाही मची है। रविवार दोपहर 2:30 बजे फिर से 5.1 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र मांडले से 27 किमी उत्तर में था। इस तरह बीते 3 दिन में 5 से ज्यादा तीव्रता वाले 4 भूकंप आए हैं। इससे पहले शुक्रवार सुबह 11:50 बजे आए 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। यह भूकंप म्यांमार और थाईलैंड में पिछले 200 वर्षों का सबसे बड़ा भूकंप बताया जा रहा है।
भूकंप का असर 334 एटॉमिक बम के बराबर
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक भूवैज्ञानिक ने इस भूकंप की तीव्रता की तुलना 334 एटॉमिक बम के विस्फोट से की है। इस झटके ने कई शहरों को बर्बाद कर दिया, सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गईं और हजारों लोग प्रभावित हुए।
मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मरने वालों का आंकड़ा 1700 के करीब पहुंच गया है, जबकि 3,408 से अधिक लोग घायल हुए हैं और 139 लोग लापता हैं। यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने आशंका जताई है कि, मृतकों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है।
थाईलैंड में भी नुकसान
भूकंप का असर सिर्फ म्यांमार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि थाईलैंड में भी इसका असर देखने को मिला। बैंकॉक में एक 30 मंजिला इमारत गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। इसके अलावा, हजारों इमारतों में दरारें आ गई हैं और कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
बिजली-पानी को तरस रहे लोग
भूकंप के कारण म्यांमार में हजारों इमारतें ध्वस्त हो गईं, जिससे लोगों को बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। कई परिवार अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। सड़कों और पुलों के क्षतिग्रस्त होने के कारण राहत और बचाव कार्यों में भी कठिनाइयां आ रही हैं।
भारत ने भेजी राहत सामग्री
भारत ने म्यांमार में राहत और बचाव कार्यों में सहायता के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ चलाया है। भारतीय वायुसेना का C-130J विमान म्यांमार भेजा गया, जिसमें टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, रेडी टू ईट फूड, वॉटर प्यूरिफायर, हाईजीन किट, सोलर लैंप, दस्ताने, पट्टियां और दवाइयां शामिल थीं।
तीन खेप में भेजी गई सहायता
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि, भारतीय नौसेना के INS सतपुड़ा और INS सावित्री ने 40 टन राहत सामग्री यांगून भेजी है। इसके अलावा, 118 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल यूनिट को मांडले में तैनात किया गया है। भारत ने इससे पहले भी 15 टन राहत सामग्री भेजी थी। जिसमें टेंट, खाने-पीने की वस्तुएं, जनरेटर सेट और अन्य जरूरी सामान शामिल था।
मदद के लिए आगे आए कई देश
संयुक्त राष्ट्र ने राहत कार्य के लिए म्यांमार को 5 मिलियन डॉलर (43 करोड़ रुपए) की सहायता दी है। रूस ने 120 बचावकर्मियों के साथ दो विमान भेजे, जबकि चीन, हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर और मलेशिया भी अपनी टीम भेज रहे हैं। यूरोपीय यूनियन ने 2.7 मिलियन डॉलर (23 करोड़ रुपए) की सहायता भेजी है।
आगे भी आ सकते हैं झटके
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, म्यांमार स्थित सागाइंग फॉल्ट लाइन के कारण इस क्षेत्र में भविष्य में भी भूकंप का खतरा बना रहेगा। विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है।