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Myanmar Earthquake Update : म्यांमार भूकंप में 1644 लोगों की मौत, 3400 घायल; 334 एटॉमिक बम के बराबर था असर, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

नेपीदा। म्यांमार में बीते दो दिनों में तीन बड़े भूकंप आने से देश में भारी तबाही मची हुई है। शनिवार दोपहर 3:30 बजे आए 5.1 तीव्रता के झटके से कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। इससे पहले शुक्रवार सुबह 11:50 बजे 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसे 200 वर्षों में सबसे विनाशकारी बताया जा रहा है। इसका असर 334 एटॉमिक बम के विस्फोट के बराबर था। शनिवार (29 मार्च) तक मरने वालों का आंकड़ा 1644 हो चुका है, जबकि 3,408 से ज्यादा लोग घायल हुए और 139 लोग लापता हैं।

लगातार बढ़ता जा रहा मौत का आंकड़ा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 1,644 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3,408 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 139 लोग लापता हैं। अमेरिकी एजेंसी यूएसजीएस ने आशंका जताई है कि मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है। इस भूकंप के झटके भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड और चीन तक महसूस किए गए।

थाईलैंड में भी नुकसान

म्यांमार के अलावा थाईलैंड में भी भूकंप का असर देखने को मिला। बैंकॉक में एक 30 मंजिला इमारत गिरने से 12 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। शहर में हजारों इमारतों में दरारें आ गई हैं, जिससे वहां आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है।

भारत ने भेजी राहत सामग्री

भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार को राहत सामग्री भेजी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि भारतीय नौसेना के INS सतपुड़ा और INS सावित्री ने 40 टन राहत सामग्री यांगून भेजी। इसके अलावा, 118 सदस्यीय फील्ड हॉस्पिटल यूनिट को मांडले शहर में तैनात किया गया है।

मदद के लिए आगे आए कई देश

संयुक्त राष्ट्र ने राहत कार्य के लिए म्यांमार को 5 मिलियन डॉलर (43 करोड़ रुपए) की सहायता दी है। रूस ने 120 बचावकर्मियों के साथ दो विमान भेजे, जबकि चीन, हॉन्ग कॉन्ग, सिंगापुर और मलेशिया भी अपनी टीम भेज रहे हैं। यूरोपीय यूनियन ने 2.7 मिलियन डॉलर (23 करोड़ रुपए) की सहायता भेजी है।

रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें

भूकंप के कारण सड़कें और पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे राहत और बचाव कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कई जगहों पर मेडिकल उपकरण, दवाएं और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में दिक्कत आ रही है।

नेपीता एयरपोर्ट का कंट्रोल टावर गिरा

भूकंप के कारण म्यांमार की राजधानी नेपीता के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर भी ढह गया। सैटेलाइट तस्वीरों में टावर को पूरी तरह ध्वस्त देखा जा सकता है। हादसे के दौरान टावर में मौजूद सभी लोगों की मौत हो गई।

मांडले शहर के ऐतिहासिक शाही महल मांडले पैलेस के कुछ हिस्से भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, सागाइंग क्षेत्र के एक पुल के पूरी तरह नष्ट होने की खबर है। कई इलाकों में अब भी लोगों को राहत सामग्री नहीं मिल सकी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने जताई संवेदना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य नेतृत्व से बातचीत कर भारत की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि भारत इस कठिन समय में म्यांमार के लोगों के साथ खड़ा है और राहत कार्यों में तेजी लाई जाएगी।

भूकंप के बाद म्यांमार की बढ़ीं चुनौतियां

म्यांमार पहले से ही गृहयुद्ध, खाद्य संकट और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहा था। भूकंप के कारण हालात और बिगड़ गए हैं। संचार और परिवहन व्यवस्था बाधित होने से राहत कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं।

भूवैज्ञानिकों के अनुसार, यूरेशियन और इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेटों की टकराहट के कारण म्यांमार में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। सागाइंग फॉल्ट लाइन के कारण मांडले, बागो और यांगून जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों को भूकंपीय खतरा अधिक है।

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