
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और कटनी समेत अधिकतर शहरों में मंगलवार शाम को अचानक सड़कों पर अंधेरा छा गया, घरों-दुकानों की लाइट बंद हो गई और गाड़ियां हेडलाइट बंद कर खड़ी हो गईं। यह सब किसी आपात स्थिति का संकेत नहीं था, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर की गई मॉक ड्रिल का हिस्सा था।
12 मिनट का ब्लैक आउट, पूरे शहर ने निभाई जिम्मेदारी
मॉक ड्रिल के तहत शाम 7:30 से 7:45 बजे तक प्रमुख शहरों में ब्लैक आउट किया गया। इस दौरान लोगों ने घरों, दुकानों और दफ्तरों की बिजली बंद रखी, ताकि आपदा के समय की स्थिति का आकलन किया जा सके। सड़कों पर चल रही गाड़ियों ने भी हेडलाइट बंद कर नियमों का पालन किया, जिससे 12 मिनट तक पूरे शहर अंधेरे में डूबे रहे।
शाम 4 बजे से शुरू हुआ था मॉक ड्रिल ऑपरेशन
इस मॉक ड्रिल की शुरुआत शाम 4 बजे से ही हो गई थी। इसे तीन चरणों में अंजाम दिया गया।
- भोपाल और जबलपुर के मॉल्स में आग लगने का सीन क्रिएट किया गया। वहां से धुआं उठता देख लोगों में हलचल मच गई।
- फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं और फायर फाइटिंग के साथ-साथ घायलों को राहत शिविर और अस्पतालों तक पहुंचाया।
- इंदौर के मेडिकल कॉलेज में फंसे लोगों को निकालने के लिए स्पेशल रेस्क्यू टीम ने ऑपरेशन चलाया।
इन घटनाओं को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी जमा हो गई, हालांकि प्रशासन ने पहले से इस बारे में जानकारी दे रखी थी।
आपदा प्रबंधन की तैयारियों की हुई जांच
यह मॉक ड्रिल केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर की गई, जिसका उद्देश्य आपदा के समय राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और जनता की तैयारियों और प्रतिक्रिया का परीक्षण करना था। इसके जरिए ये जांचा गया कि आगजनी, विस्फोट या बड़े आतंकी हमले जैसी स्थिति में एजेंसियां कितनी तेजी से और समन्वय से काम करती हैं। साथ ही यह भी देखा गया कि आम जनता किस हद तक सहयोग करती है।
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