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VIDEO : चीतों का नया घर बना गांधी सागर अभयारण्य, CM डॉ. मोहन यादव ने पावक और प्रभास को बाड़े में छोड़ा, पिंजरा खुलते ही दोनों ने लगाई दौड़

मंदसौर। देश में पहली बार चीतों की अंतर्राज्यीय शिफ्टिंग की गई। इसी के साथ श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क के बाद अब मंदसौर जिले का गांधी सागर अभयारण्य चीतों का नया आशियाना बन गया है। रविवार शाम को सीएम डॉ. मोहन यादव ने दो नर चीतों- पावक और प्रभास को अभयारण्य के बाड़े में छोड़ा। पिंजरा खुलते ही एक एक करके दोनों चीतों ने बाड़े में दौड़ लगाई।

नीमच जिले के बासीगांव में चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत गांधी सागर अभयारण्य में कूनो नेशनल पार्क से लाए गए दो अफ्रीकी चीतों को प्राकृतिक आवास में छोड़ा। दोनों चीते ‘प्रभास’ और ‘पावक’ की उम्र लगभग 6 वर्ष है। चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत देश में गांधी सागर अभयारण्य दूसरा स्थान है जहां चीतों को सफल और सुरक्षित शिफ्ट किया गया है। दोनों चीते करीब 8 घंटे का सफर कर गांधी सागर पहुंचे थे।

8 घंटे का सफर तय कर पहुंचे पावक और प्रभास

कूनो नेशनल पार्क से सुबह 8 बजे गांधी सागर के लिए प्रभास और पावक नाम के दो चीतों को लेकर टीम रवाना हुई थी, जो दोपहर करीब 4 बजे गांधी सागर पहुंच गए। दोनों को ट्रेंकुलाइजर कर पिंजरे में डाला गया। ये वही पिंजरे हैं, जिन्हें इन चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाने के लिए तैयार किया गया था। ये दोनों एक ही मां की संतान है। ये उन चीतों की खेप में शामिल थे, जिन्हें दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी 2023 को कूनो लाया गया था। ये चीते कूनो नेशनल पार्क से एसी वाहन में 8 घंटे का सफर तय कर गांधी सागर पहुंचे। ‘चीता प्रोजेक्ट’ मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को बचाना है।

चीतों के लिए 8,900 हेक्टेयर क्षेत्र में तैयार

गांधी सागर अभयारण्य में चीतों का आशियाना 8,900 हेक्टेयर क्षेत्र में तैयार किया गया है। उसके लिए तीन बाड़े बनाए गए हैं। हर बाड़ा करीब 16 वर्ग किमी का होगा। इसकी निगरानी का काम 40 प्रशिक्षित अधिकारी-कर्मचारी और 90 चीता मित्र करेंगे।

गांधी सागर अभयारण्य की खासियत

यह अभयारण्य पूर्वी मध्यप्रदेश में स्थित एक वन्य-जीव अभयारण्य है। गांधी सागर अभयारण्य मंदसौर और नीमच जिले में फैला हुआ है। यहां सलाई, करधई, धौड़ा, तेंदू, पलाश जैसे पेड़ हैं। यह विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज नाला का हिस्सा है। रॉक सेंटर भी इसी अभयारण्य का हिस्सा है। इस अभयारण्य को वर्ष 1974 में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1984 में अभयारण्य बनाया गया। अभयारण्य में वन शैल चित्रकला स्थलों और चतुर्भुजनाथ मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों के होने से इसका पुरातात्विक और धार्मिक महत्व है। अभयारण्य गांधी सागर के बैक वाटर के आसपास के क्षेत्र में फैला हुआ है, यहां जंगली कुत्ते, चिंकारा, तेंदुआ, ऊदबिलाव, मगरमच्छ, चीतल, हिरण, सांभर, ग्रे लंगूर हैं।

कूनो में रह जाएंगे 24 चीते

श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 26 चीते हैं। इन दोनों चीतों के कूनो नेशनल पार्क से जाने के बाद यहां 24 चीते रह जाएंगे। इनमें 13 भारतीय जबकि 11 विदेशी चीते हैं। इन 24 में से 17 चीते फिलहाल कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल में दौड़ लगा रहे हैं। इसके अलावा बोत्सवाना से 8 चीते लाने की योजना है। मई-2025 तक 4 चीते लाए जाएंगे। इसके बाद 4 चीते और लाए जाएंगे। वहीं, दक्षिण अफ्रीका और केन्या से भी चीते लाने की योजना प्रस्तावित है।

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