
भोपाल। मिशन वात्सल्य में सरकार ने कोटा हटा दिया है। अब प्रदेश के सभी अनाथ, असहाय, बेसहारा बच्चों को सरकार की इस योजना का फायदा मिलेगा। इस साल अब तक इस तरह के 25,700 से अधिक बच्चों का चयन किया है, जिन्हें सरकार की स्कीम मिशन वात्सल्य योजना से आर्थिक सहायता मिलेगी। सरकार ने साल 2009 में समेकित बाल संरक्षण योजना शुरू की थी। इसके तहत अनाथ, असहाय, बेसहारा बच्चों के भरण-पोषण और उनकी शिक्षा के लिए प्रत्येक जिले में 40-40 बच्चों का चयन हर साल किया जाता था।
अगर हम साल 2023 तक की बात करें तो इसमें सभी जिलों से करीब 2000 बच्चे थे। कोविड के बाद से इस तरह के बच्चों की संख्या बढ़ गई। राज्य सरकारों की मांग पर केन्द्र सरकार ने इस लिमिट को हटा दिया। इसका स्कीम का नाम बदलते हुए मिशन वात्सल्य रखा गया। बच्चों के चयन की लिमिट पिछले साल हटाई गई । विधानसभा चुनाव और आचार संहिता के चलते योजना का प्रचार प्रसार नहीं हो पाया।
ऐसे होता है चयन
योजना में 6 वर्ष से 18 वर्ष के बच्चों को लाभ दिया जाता है। महिला बाल विकास कार्यकर्ता लाभार्थियों का चयन करते हैं। इसमें उन बच्चों का चयन किया जाता है, जिनके अभिभावकों की आय शहरी क्षेत्रों में 96 हजार और ग्रामीण 72 हजार है। अनाथ, एकल माता, विधवा, गंभीर बीमार माता पिता के बच्चों का चयन होता है। इसमें प्रति बच्चे प्रति माह चार हजार मिलते हैं।
सरकार के सहारे बच्चे की पढ़ाई अब भी जारी
कोरोना में मेरे पति का निधन हो गया था। घर चलाना मुश्किल हो रहा था। मैंने बच्चों की पढ़ाई के संबंध में तो कभी सोच नहीं सकती थी। महिला बाल विकास विभाग ने मेरे दोनों बेटे की पढ़ाई के लिए आर्थिक सहारा दिया, बच्चों की पढ़ाई आज भी जारी है। -भावना शर्मा,लाभार्थी, इंदौर
कोई बच्चा वंचित नहीं रहेगा
कलेक्टरों और विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी बेसहारा बच्चे को उनकी शिक्षा और अधिकार से वंचित न रखा जाए। मिशन वात्सल्य योजना का गांव और शहरों में प्रचार प्रसार किया जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा बच्चों को इसका लाभ मिले। -निर्मला भूरिया, मंत्री महिला एवं बाल विकास विभाग