
अहमदाबाद। मोरबी ब्रिज हादसा मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को ओरेवा ग्रुप को बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ओरेवा कंपनी मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए और घायलों को 2-2 लाख रुपए का मुआवजा दे। पिछले साल 30 अक्टूबर को मोरबी की मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज ढह गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी।
ओरेवा ग्रुप ने कराई थी मरम्मत
जानकारी के मुताबिक, गांधीनगर से 300 किलोमीटर दूर मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज 7 महीने से बंद था। अजंता मैनुफैक्चरिंग (ओरेवा ग्रुप) को पुल की मरम्मत का काम मिला था। बता दें कि ये कंपनी घड़ियां, एलईडी लाइट, सीएफएल बल्ब, ई-बाइक बनाती है। हालांकि, ऐसा बताया जा रहा है कि अजंता मैनुफैक्चरिंग ने मरम्मत का ठेका किसी दूसरी कंपनी को दे दिया था।
30 अक्टूबर 2022 को हुआ था हादसा
30 अक्टूबर 2022 की शाम को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी के ऊपर बने सस्पेंशन ब्रिज के टूटने के चलते 300 से ज्यादा लोग डूब गए थे और 135 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे में कई परिवार तक खत्म हो गए थे। हादसे के बाद लगभग 5 दिनों तक खोज एवं बचाव अभियान चलाया गया था।
पीएम मोदी ने किया था मोरबी का दौरा
मोरबी पुल हादसे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर 2022 को गुजरात के अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की थी। बैठक में अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने और जांच की हिदायत दी गई थी और नेताओं को इस जांच में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया गया था। पीएम ने इसके बाद मोरबी का दौरा कर घायलों से मुलाकात की थी। जांच के बाद नगर पालिका के कई अधिकारियों को निलंबित भी किया गया था।
ब्रिज की लंबाई करीब 765 फीट है
मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है। ब्रिज की लंबाई करीब 765 फीट है। यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था। उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था।