
अशोक गौतम-भोपाल। प्रदेश सरकार द्वारका, वृंदावन, मथुरा, उज्जैन और कुरुक्षेत्र में कृष्ण से जुड़े धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम कराएगी। साथ ही श्रीकृष्ण के यात्रा पथ के प्रमुख स्थल जैसे उज्जैन, इंदौर, धार, द्वारका, अमरावती, मथुरा, सोमनाथ और रणथंभोर में श्रीकृष्ण लीला के सांस्कृतिक आयोजन होंगे। इसमें देश-विदेश के विद्वानों और कृष्ण से जुड़े पीठाधीशों और जानकारों को बुलाया जाएगा।
वहीं मध्य प्रदेश में कृष्ण पथ से जुड़े पथों का विकास होगा, जिसके आसपास के 250 से अधिक गांवों में कृष्ण से जुड़े स्थलों का भी विकास किया जाएगा। सरकार कृष्ण की 14 विद्याओं और 64 कलाओं को शिक्षा में शामिल करेगी। इसके साथ ही उज्जैन में कृष्ण और सांदीपनि गुरुकुल की तर्ज पर एक विश्वविद्यालय भी बनाया जाएगा। सरकार ने महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ को श्रीकृष्ण पाथेय योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी बनाया है।
विद्वानों का मार्गदर्शन भी लेंगे
हाल ही में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय किया गया है कि श्रीकृष्ण पाथेय योजना को बेहतर बनाने के लिए देश के अग्रणी संतों आचार्यों मनीषियों विद्वानों का मार्गदर्शन भी लिया जाएगा। सीएम ने संस्कृति एवं धर्मस्व विभाग को निर्देश दिए है कि श्रीकृष्ण के यात्रा पथ का विस्तृत अध्ययन, अन्वेषण, सर्वेक्षण कर उसका डॉक्यूमेंटेशन किया जाए। सर्वेक्षण में श्रीकृष्ण से जुड़े मंदिरों, जल संरचनाओं, पुरातात्विक स्थलों, मूर्ति शिल्पों, शिलालेखों, मुद्रा मुद्रांकों, साहित्य और व्याख्यानों में उपलब्ध प्रमाणों की पहचान करने, उनका मूल्यांकन करने तथा वैज्ञानिक विश्लेषण करने का कार्य भी किया जाएगा। कृष्ण,शिव, विष्णु और श्रीराम से जुड़े शोध भी होंगे ।
कृष्ण के 3200 से अधिक मंदिरों का जीर्णोद्धार
प्रदेश में श्रीकृष्ण के 3200 से अधिक मंदिर हैं। इन मंदिरों का विकास और जीर्णोद्धार किया जाएगा। इन मंदिरों का रजिस्ट्रेशन, डाक्यूमेंटेशन और इतिहास लोगों को बताने के लिए वहां पर शिलालेख किया जाएगा। श्रीकृष्ण पाथेय अंतर्गत सभागारों कम्युनिटी सेंटर और धर्मशालाओं का निर्माण होगा। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण की अवधारणा के अनुरूप शिक्षा, संस्कृति, कृषि, गौ एवं पशुधन संवर्धन की विरासत का विकास भी सरकार करेगी।
यात्रा पथों को चिह्नित किया
श्रीकृष्ण के यात्रा पथ और स्थलों को चिंहित किया गया है। इसका विस्तार से सर्वे कराया जा रहा है। इन क्षेत्रों में कृष्ण से जुड़े मंदिरों, पथों और स्थलों को विकसित किया जाएगा। धार्मिक यात्रियों के हिसाब से यहां सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके कृष्ण से जुड़ी कलाओं और शिक्षा में शोध और अध्ययन की व्यवस्था की जाएगी। कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। -श्रीराम तिवारी, निदेशक, महाराजा शोध पीठ उज्जैन