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मोदी कैबिनेट के फैसले: नए सिम कार्ड के लिए फॉर्म भरने की झंझट खत्म, डिजिटल KYC से मिल जाएगा कनेक्शन

कैबिनेट की बैठक में ऑटो सेक्टर के लिए 26,000 करोड़ का पैकेज दिया गया है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। सरकार ने टेलिकॉम सेक्टर के लिए राहत पैकेज मंजूर कर लिया है। ऑटो और ऑटो कंपोनेंट सेक्टर के लिए भी पीएलआई स्कीम को मंजूरी दी है। इसके अलावा देश में ड्रोन के लिए भी पीएलआई स्कीम को मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से 100% FDI को भी मंजूरी मिली है।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि भारत की जीडीपी में ऑटो क्षेत्र की हिस्सेदारी 12 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य है, जो अभी 7.1 फीसदी है। कैबिनेट ने ऑटो सेक्टर के लिए 26,000 करोड़ का पैकेज दिया है। सरकार को उम्मीद है कि कैबिनेट के इस फैसले से अगले तीन साल में ड्रोन सेक्टर में 5000 करोड़ का निवेश आ सकता है।

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नए सिम कार्ड के लिए अब फोटोकॉपी की जरूरत नहीं

सरकार ने डिजिटल KYC को भी मंजूरी दी है। अब सिम कार्ड के लिए दस्तावेज का वैरिफिकेशन डिजिटल रूप में ही होगा। नए मोबाइल कनेक्शन के लिए डिजिटल KYC कराया जाएगा। अभी तक आपको सिम कार्ड लेने के लिए आधार कार्ड या किसी अन्य दस्तावेज की फोटोकॉपी देनी पड़ती है लेकिन जल्द ही आपको इससे आजादी मिलने वाली है। सरकार का कहना है कि टेलीकॉम कंपनियों के पास 400 करोड़ से कागजों का अंबार जमा हुआ है।

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डिजिटल फॉर्मेट में कस्टमर वेरिफिकेशन होगा

सरकार की तरफ से कहा गया कि सिम कार्ड खरीदने के लिए अब डिजिटल फॉर्मेट में कस्टमर का वेरिफिकेशन होगा। इसके अलावा प्रीपेड से पोस्टपेड या पोस्टपेड से प्रीपेड में जाने पर दोबारा KYC नहीं किया जाएगा। यह भी बताया गया कि मोबाइल टावर को लेकर कई फ्रॉड केस सामने आए हैं। ऐसे में अब सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर टावर का इंस्टालेशन होगा।

टेलीकॉम कंपनियों को AGR चुकाने के लिए 4 सालों का मोराटोरियम

टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। केंद्र सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम चार्जेज और AGR बकाए को चुकाने के लिए 4 सालों का मोराटोरियम दिया गया है। नॉन टेलिकॉम कारोबार को AGR के दायरे से बाहर कर दिया है। ब्याज दरों में राहत, पेनाल्टी को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। स्पेक्ट्रम शुल्क का भुगतान 30 साल में किया जा सकेगा। बिजनेस मॉडल में बदलाव होने के बाद स्पेक्ट्रम को सरेंडर किया जा सकता है, स्पेक्ट्रम शेयरिंग में कोई बंधन नहीं होगा।

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