
इंफाल। मणिपुर में राजनीतिक अस्थिरता के बाद अब सरकार गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। भाजपा के 27 विधायकों ने 30 मई को बैठक कर नई सरकार बनाने पर सहमति जताई है। इस बैठक में खास बात यह रही कि पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत सिंह को संपूर्ण रूप से दूर रखा गया।
बीरेन सिंह विरोधी और समर्थक एक मंच पर
सूत्रों के अनुसार, बैठक में बीरेन सिंह के खिलाफ पहले विद्रोह कर चुके विधायक, और वह गुट जो उनके इस्तीफे तक साथ था, दोनों मौजूद थे। एक विधायक ने बताया कि बीरेन सिंह को बैठक में नहीं बुलाया गया था, यह रणनीतिक निर्णय था। यह स्पष्ट संकेत है कि पार्टी का एक बड़ा वर्ग बीरेन सिंह को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं है।
राजभवन में पेश किया गया सरकार बनाने का दावा
इससे पहले, 28 मई को NDA के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इस प्रतिनिधिमंडल में 8 भाजपा, एक NPP और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे। भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने बताया कि कांग्रेस को छोड़कर 44 विधायक सरकार गठन के लिए तैयार हैं। गौरतलब है कि मणिपुर में 60 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें सरकार बनाने के लिए 31 विधायकों का बहुमत आवश्यक है।
सीएम का चेहरा तय होना बाकी
भाजपा और उसके सहयोगी दलों की कोशिश है कि 15 जून से पहले सरकार का गठन कर राष्ट्रपति शासन हटाया जाए। हालांकि, मुख्यमंत्री पद के लिए नया चेहरा कौन होगा, यह स्पष्ट नहीं हुआ है।
मौजूदा विधानसभा स्थिति
मणिपुर विधानसभा में 60 सीटें हैं (वर्तमान में 59 सक्रिय, एक सीट रिक्त)।
- भाजपा: 37 विधायक
- एनपीएफ: 5 विधायक
- एनपीपी: 1 विधायक
- निर्दलीय: 1 विधायक
- कुल NDA समर्थन: 44 विधायक
- कांग्रेस: 5 विधायक (सभी मैतेई समुदाय से)
- कुकी समुदाय के 10 विधायक, जिनमें 7 ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था
13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन
9 फरवरी 2024 को मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था। उनके इस्तीफे के बाद से ही राज्य में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। बीरेन सिंह पर कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष को नियंत्रित न कर पाने का आरोप था। यह हिंसा 3 मई 2023 से लगातार जारी है और इसमें अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत, 1500 से अधिक घायल और 70 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं।