
महाकुंभ नगर (प्रयागराज)। महाकुंभ के दूसरे स्नान पर्व मकर संक्रांति पर मंगलवार को सुबह से दोपहर तक 13 अखाड़ों के साधु संतों ने बारी-बारी अमृत स्नान किया। मेला प्रशासन के मुताबिक, अब तक 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं संगम तट पर डुबकी लगाने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई।
वहीं, संगम तट पर सुबह 6 बजे अमृत स्नान का अद्भुत दृश्य नजर आया। हाथों में तलवार-त्रिशूल और डमरू लिए संन्यासी हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए घाटों पर पहुंचे। महाकुंभ में पहली बार शाही स्नान की जगह अमृत स्नान शब्द का इस्तेमाल किया गया। अखाड़ों ने नाम बदलने का प्रस्ताव दिया था।
144 साल बाद यह महाकुंभ आता है : चेतनगिरी
अखाड़ों के अमृत स्नान में सबसे पहले सन्यासी अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने ‘हर हर महादेव’ के घोष के साथ संगम पर अमृत स्नान किया। अमृत स्नान के उपरांत महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी जी महाराज ने कहा, “हर 12 साल में पूर्ण कुंभ प्रयागराज में होता है और 12 पूर्ण कुंभ होने पर 144 साल बाद यह महाकुंभ आता है। बहुत भाग्यशाली लोगों को महाकुंभ में स्नान का अवसर मिलता है। महानिर्वाणी अखाड़े से 68 महामंडलेश्वर और हजारों साधु संतों ने अमृत स्नान किया।”
नागा साधुओं ने किया अमृत स्नान
अमृत स्नान के अगले क्रम में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया, जिसमें सबसे आगे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी थे और उनके बाद अखाड़ा के झंडे और फिर आराध्य देवता कार्तिकेय स्वामी और सूर्य नारायण पालकी पर सवार थे। इनके पीछे नागा सन्यासियों की टोली थी और इन सभी के बीच निरंजनी के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि एक भव्य रथ पर सवार थे।
अमृत स्नान के बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कहा, “निरंजनी के 35 महामंडलेश्वरों ने और हजारों की संख्या में नागा सन्यासियों ने अमृत स्नान किया।” निरंजनी अखाड़े की साध्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा, “घाट पर युवाओं की भीड़ यह बताती है कि युवाओं में सनातन धर्म के प्रति कितनी आस्था है। जब भी किसी ने सनातन धर्म को चुनौती दी, युवा और संत समाज ने आगे आकर धर्म की रक्षा की।” निरंजनी और आनंद अखाड़े के बाद जूना अखाड़े, आवाहन अखाड़े और पंचअग्नि अखाड़े के हजारों साधु संतों ने अमृत स्नान किया।
किन्नर अखाड़े ने भी लगाई डुबकी
जूना के साथ ही किन्नर अखाड़े के संतों ने भी गंगा में डुबकी लगाई। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि भव्य रथ पर सवार होकर स्नान घाट पर आए और उनके साथ हजारों की संख्या में नागा सन्यासी भी थे। सन्यासी अखाड़ों के बाद तीन बैरागी अखाड़ों- श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने बारी बारी से स्नान किया। इनके बाद उदासीन अखाड़ों- पंचायती नया उदासीन और पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़े ने स्नान किया। सबसे आखिर में श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने अमृत स्नान किया।
श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से बरसाए फूल
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति के दिन मंगलवार को संगम तट पर डुबकी लगाने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर उत्तर प्रदेश सरकार ने हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराई। हेलिकॉप्टर से सभी घाटों और अखाड़ों पर स्नान के दौरान गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख संगम तट पर श्रद्धालुओं ने अभिभूत होकर जय श्रीराम और हर हर महादेव के नारे लगाए। एक बयान के मुताबिक महाकुंभ मेला क्षेत्र में श्रद्धालुओं पर स्नान पर्वों के मौके पर पुष्प वर्षा को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उद्यान विभाग ने पिछले काफी समय से तैयारी कर रखी थी। इसके लिए गुलाब की पंखुड़ियों की खास तौर पर व्यवस्था की गई थी। महाकुम्भ के सभी स्नान पर्वों पर पुष्प वर्षा कराने की तैयारी की गई है।
प्रत्येक स्नान पर्व पर लगभग 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश करने की तैयारी है, जिसकी श्रृंखला में पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा स्नान पर सोमवार को श्रद्धालुओं पर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं गई थीं। दूसरे दिन यानी मंगलवार को मकर संक्रांति पर अमृत स्नान के दौरान भी पुष्पवर्षा से श्रद्धालु अभिभूत नजर आए।
प्रथम अमृत स्नान पर्व सकुशल संपन्न : सीएम योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ”आस्था, समता और एकता के महासमागम ‘महाकुम्भ-2025, प्रयागराज’ में पावन ‘मकर संक्रांति’ के शुभ अवसर पर पवित्र संगम में आस्था की पवित्र डुबकी लगाने वाले सभी पूज्य संतगणों, कल्पवासियों व श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन! प्रथम अमृत स्नान पर्व पर आज 3.50 करोड़ से अधिक पूज्य संतों/श्रद्धालुओं ने अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया।
प्रथम अमृत स्नान पर्व के सकुशल संपन्न होने पर सनातन धर्म के आधार सभी पूज्य अखाड़ों, महाकुम्भ मेला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, पुलिस प्रशासन, स्वच्छताकर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों एवं धार्मिक संस्थाओं, नाविकों तथा महाकुम्भ से जुड़े केंद्र व प्रदेश सरकार के सभी विभागों को हृदय से साधुवाद तथा प्रदेश वासियों को बधाई! पुण्य फलें, महाकुम्भ चलें।
26 फरवरी तक चलेगा महाकुंभ
यह महाकुंभ 12 साल बाद हो रहा है, लेकिन संतों का कहना है कि इस बार 144 साल बाद एक बेहद खास मुहूर्त बना है, जो समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। यह महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन में 45 दिन के दौरान 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, इस बार महाकुंभ में 15 लाख से ज्यादा विदेशी श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
महाकुंभ में इन तारीख को होगा शाही स्नान
महाकुंभ का पहला शाही स्नान 13 जनवरी (पूस पूर्णिमा )के दिन होगा।
14 जनवरी (मकर संक्रांति )के दिन शाही स्नान।
29 जनवरी (मोनी अमावस्या) के दिन शाहीस्नान।
03 फ़रवरी (बसंत पंचमी) के दिन शाही स्नान।
12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) के दिन शाही स्नान। 26 फरवरी (महाशिवरात्रि )के दिन शाही स्नान किया जाएगा।
महाकुंभ को लेकर क्या है मान्यता
मान्यता है कि, कुंभ मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। समुद्र मंथन से जो अमृत निकला, उसे पाने के लिए देवताओं और राक्षसों के बीच 12 साल तक युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान अमृत की कुछ बूंदें जिन-जिन स्थानों पर गिरीं, वहां कुंभ मेला आयोजित होता है। चूंकि युद्ध 12 साल तक चला, इसलिए कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ के स्नान को शाही स्नान के नाम से जाना जाता है।
144 साल बाद बन रहा ये दुर्लभ संयोग
प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस बार 144 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। जिसका संबंध समुद्र मंथन से माना जाता है, जिस दौरान देवताओं और राक्षसों ने अमृत के लिए संघर्ष किया था। इस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही है जो कि उस समय समुद्र मंथन के दौरान भी बनी थी।