
कूनो नेशनल पार्क से एक बार फिर बुरी खबर सामने आई है। ज्वाला चीते के नन्हे शावक की मौत हुई है। बड़े बाड़े में मौत होने की खबर। वन विभाग में हड़कंप मच गया है। फिलहाल, मौत के कारणों का पता लगाने में वन विभाग की टीम जुटी हुई है। अब शावकों की संख्या चार से घटकर तीन रह गई। इससे पहले तीन चीतों की मौत हो चुकी है। चीतों की मौत को लेकर लगातार कूनो प्रशासन के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
इससे पहले साशा, उदय और दक्षा की भी हुई मौत
सबसे पहले 27 मार्च को मादा चीता साशा की मौत हुई थी। इसके बाद 24 अप्रैल को नर चीते उदय ने भी दम तोड़ दिया था। 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत ने भारत में चीता पुनर्वास प्रोजेक्ट पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह प्रोजेक्ट एनटीसीए के प्रोटोकॉल के मुताबिक चल रहा है। इसके तहत कूनो में पदस्थ अमला न केवल चीतों की निगरानी करता है, बल्कि उनके व्यवहार पर भी नजर रखता है। ऐसे में नर चीते द्वारा मादा चीते पर किए गए हमले की जानकारी समय पर स्टाफ को न मिल पाना गंभीर लापरवाही की तरफ भी इशारा करता है।
अब 17 व्यस्क चीते ही शेष
दक्षा और उदय उन 12 चीतों में शामिल थे, जिन्हें दूसरी खेप में 10 अन्य चीतों के साथ दक्षिण अफ्रीका से लाया गय़ा था। सबसे पहले जिस मादा चीता साशा की मौत हुई थी, उसे पहली खेप में नामीबिया से 7 अन्य चीतों के साथ लाया गया था। अब भारत में तीन चीतों की मौत के बाद केवल 17 व्यस्क चीते ही शेष बचे हैं।
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