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कोलकाता में रामनवमी शोभायात्रा पर हमला : BJP सांसद का आरोप- गाड़ियों पर बरसाए गए पत्थर, पुलिस बोली- इजाजत ही नहीं ली गई थी

कोलकाता। रामनवमी के अवसर पर पश्चिम बंगाल में इस बार धार्मिक उत्सव के साथ-साथ सियासी तूफान भी देखने को मिला। कोलकाता के पार्क सर्कस सेवन पॉइंट इलाके में रामनवमी की रैली पर कथित हमले को लेकर बीजेपी और कोलकाता पुलिस आमने-सामने आ गई हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद डॉ. सुकांत मजूमदार ने घटना को “लक्षित हिंसा” बताया है, जबकि कोलकाता पुलिस ने इन दावों को नकारते हुए कहा है कि किसी भी रैली की अनुमति नहीं ली गई थी।

देखें वीडियो…

BJP सांसद का दावा- भगवा झंडा देखकर बरसाए गए पत्थर

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने रविवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि, जैसे ही रामनवमी की रैली पार्क सर्कस इलाके से लौटी, गाड़ियों पर पत्थरबाजी की गई। उन्होंने आरोप लगाया कि, रैली में शामिल वाहनों के विंडशील्ड तोड़ दिए गए और अराजकता का माहौल बना। उन्होंने इस घटना को पूर्व नियोजित और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने वाला हमला बताया।

मजूमदार ने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, जब यह हिंसा हो रही थी, उस वक्त पुलिस वहीं मौजूद थी लेकिन मूकदर्शक बनी रही। उन्होंने इसे “कायरतापूर्ण निष्क्रियता” बताते हुए ममता बनर्जी सरकार की आलोचना की।

पुलिस की सफाई- रैली के लिए नहीं ली गई थी अनुमति

कोलकाता पुलिस ने हमले के दावे को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि, पार्क सर्कस इलाके में किसी भी रैली के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस का कहना है कि, वाहन क्षतिग्रस्त होने की सूचना पर तत्काल कार्रवाई की गई और हालात को तुरंत काबू में लाया गया। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और लोगों से अपील की है कि, वे किसी भी तरह की अफवाहों पर विश्वास न करें।

रामनवमी पर बंगाल में हाई अलर्ट

पश्चिम बंगाल में रामनवमी को लेकर पहले से ही हाई अलर्ट घोषित किया गया था। राज्य सरकार ने 9 अप्रैल तक सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी थीं। कोलकाता, हावड़ा, मुर्शिदाबाद, 24 परगना समेत संवेदनशील जिलों में ड्रोन, सीसीटीवी और रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई थी। सरकार ने स्पष्ट किया था कि, किसी भी प्रकार की सांप्रदायिक हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

रामनवमी बनाम तुष्टिकरण

बीजेपी इस मुद्दे को सीधे-सीधे तुष्टिकरण की राजनीति से जोड़ रही है। सुकांत मजूमदार का कहना है कि, बंगाल की सरकार ‘शांति वाहिनी’ के नाम पर एक विशेष समुदाय का पक्ष ले रही है और हिंदुओं को कमजोर करने की साजिश कर रही है। उन्होंने अगले साल और भी बड़े जुलूस की घोषणा करते हुए कहा, “वही पुलिस जो आज चुप रही, वे अगले साल हम पर फूल बरसाएंगे।”

वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन ममता बनर्जी पहले ही सभी समुदायों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से दूर रहने की अपील कर चुकी हैं।

रामनवमी पर राजनीति क्यों गरमाई?

बीते कुछ वर्षों से रामनवमी बंगाल की राजनीति में एक संवेदनशील और शक्तिशाली प्रतीक बन गई है। खासकर बीजेपी इसे बंगाली हिंदुओं की एकजुटता और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर प्रस्तुत कर रही है। इस बार भी राज्य में लगभग 2500 जुलूस निकाले गए, जिनमें लाखों लोग शामिल हुए। वहीं प्रशासन के लिए यह कानून-व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती भी बन गया।

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