
श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO ) ने आज इतिहास रच दिया है। बुधवार को अपने ऐतिहासिक 100वें मिशन के तहत एक उन्नत नेविगेशन सैटेलाइट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। इसरो ने श्रीहरिकोटा से GSLV-F15 के जरिए NVS-02 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेज दिया है। इस मिशन के लॉन्च होने के बाद भारत अंतरिक्ष नेविगेशन में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है।
ISRO ने कहा- अंतरिक्ष नेविगेशन में भारत नई ऊंचाइयों पर
ISRO ने बताया कि NVS-02 को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। यह सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम का हिस्सा है, जो भारत में GPS जैसी नेविगेशन सुविधा को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल 29 जनवरी को सुबह 6:23 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरी।
वहीं GSLV-F15/NVS-02 के सफलतापूर्वक लॉन्च होने की जानकारी इसरो ने X पर दी है। ISRO की ओर से बताया गया कि मिशन सफल हो गया है। GSLV-F15/NVS-02 अंतरिक्ष में भेज दिया गया है। अंतरिक्ष नेविगेशन में भारत नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है।
2025 में इसरो का पहला मिशन
बुधवार तड़के किया गया यह प्रक्षेपण इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में पहला मिशन है। उन्होंने 13 जनवरी को पदभार संभाला था। इसके अलावा यह 2025 में इसरो का पहला मिशन है। इससे पहले, इसरो ने अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था। इस प्रयोग के तहत 30 दिसंबर, 2024 को प्रक्षेपण किया गया था जो अंतरिक्ष एजेंसी का 99वां मिशन था।

नारायणन ने कहा कि उन्हें यह घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है कि 2025 में इसरो का पहला प्रयास सफल रहा। उन्होंने सफल प्रक्षेपण के बाद कहा कि उपग्रह को ‘‘आवश्यक (जीटीओ) कक्षा में सटीकता से स्थापित किया गया। यह मिशन 100वां प्रक्षेपण है जो एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”
मंगलवार को शुरू हुई थी उल्टी गिनती
श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिए 27.30 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हुई थी। उल्टी गिनती समाप्त होने के बाद स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) अपनी 17वीं उड़ान में नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को लेकर यहां दूसरे लॉन्च पैड से तड़के 6 बजकर 23 मिनट पर प्रक्षेपित हुआ। यान ने लगभग 19 मिनट की यात्रा के बाद अपने पेलोड- एनवीएस-02 नेविगेशन उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। यह नेविगेशन उपग्रह ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (नाविक) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है, जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भू-भाग से लगभग 1,500 किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है।
लगभग 2,250 किलो है NVS-02 सैटेलाइट का वजन
यूआर सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिजाइन और विकसित NVS-02 सैटेलाइट का वजन लगभग 2,250 किलो है। इसमें एल 1, एल 5, और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड और सी-बैंड में रेंजिंग पेलोड शामिल है, जो इसकी पहली पीढ़ी के NVS-01 सैटेलाइट के समान है।
NVS सीरीज का पहला सैटेलाइट NVS-01 29 मई 2023 को GSLV-F12 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। वहीं, NVS-02 इसका दूसरा सैटेलाइट है।

नेविगेशन में होगा इस्तेमाल
ISRO ने कहा कि NVS-01/02/03/04/05 उपग्रहों को नेविगेशन सेवाओं की निरंतरता को सुनिश्चित करने और बेस लेयर कंस्टीलेशन को मजबूत करने के लिए तैयार किया गया है। इन उपग्रहों का उपयोग जमीन, हवा और समुद्र में नेविगेशन, सटीक कृषि, मोबाइल उपकरणों के लिए लोकेशन सेवाएं, उपग्रहों की कक्षा का निर्धारण, इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT) आधारित अनुप्रयोग, और आपातकालीन व समय सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा।