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मैनेजमेंट व माइंड बैलेंसिंग के लिए स्प्रिचुअल बुक्स पढ़ रहे युवा

युवाओं में बढ़ रही स्प्रिचुअल लिटरेसी, संस्कृति व महापुरुषों पर आधारित बुक्स की मांग

अनुज मीणा- कुछ साल पहले तक युवाओं को क्राइम थ्रिलर और लव स्टोरी पर आधारित किताबें अधिक पसंद आती थीं, लेकिन अब उनकी पसंद बदल रही है। अब युवाओं में स्प्रिचुअल लिटरेसी का प्रभाव देखने को मिल रहा है। युवा धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों के साथ ही धार्मिक प्रसंगों पर बनी फिल्मों में भी दिलचस्पी ले रहे हैं। इस समय महान पुरुषों की जीवन गाथा, भारतीय संस्कृति, धर्म, महान साम्राज्य, योग, आध्यात्म और धार्मिक गुरुओं पर आधारित किताबों की मांग ज्यादा है। आज का युवा अपने देश, महापुरुष और संस्कृति के बारे में जानने के लिए उत्सुक है और इसके लिए वह काफी किताबें पढ़ रहा है। वहीं, माइंड को संतुलित करने के लिए भी युवा बुक्स का सहारा ले रहे हैं। इसके लिए युवा इस समय धार्मिक पुस्तकों के साथ मेडिटेशन, सेल्फ एक्शप्रेशन और लाइफ वेल्यू से जुड़ी बुक्स पढ़ना पसंद कर रहे हैं।

अमेजन पर बेस्ट सेलर सूची में श्रीमद्भगवद गीता

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अमेजन पर इस समय स्प्रिचुअल बुक्स में द साइकोलॉजी ऑफ मनी, द पावर ऑफ योअर सबकॉन्शियस माइंड बेस्ट सेलर की सूची में शामिल हैं। वहीं, भारतीय भाषा में बात करें, तो श्रीमद्भगवद् गीता और आपके अवचेतन मन की शक्ति बेस्ट सेलर की लिस्ट में शामिल स्प्रिचुअल बुक्स हैं।

आंतरिक ज्ञान को कर सकते हैं विकसित

सोशल मीडिया पर भी आध्यात्मिकता से जुड़े पॉडकास्ट देखने के बाद मैंने आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ना शुरू किया। इन बुक्स को पढ़ने के बाद एक गहरी सोच और सकारात्मक दृष्टिकोण आता है। जब हम अपने आंतरिक ज्ञान को विकसित करते हैं, तो ना सिर्फ हम अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। पहले कई बातों को लेकर तनाव रहता था, लेकिन आध्यात्मिक बुक्स को पढ़ने के बाद अब काफी रिलेक्स महसूस करती हूं। इन पुस्तकों को पढ़ने के बाद लगता है कि आध्यात्मिकता और आत्मज्ञान का महत्व कभी कम नहीं होगा। – साक्षी यादव, स्टूडेंट

जीवन की दिशा दिखाती हैं स्प्रिचुअल बुक्स

आध्यात्मिक पुस्तकें हमें जीवन की एक नई दिशा दिखाती हैं। आध्यात्मिक पुस्तकों से हम धर्म के बारे में तो जान ही सकते हैं। इसके साथ ही इनमें कर्म और मेडिटेशन के उपाय भी सीखने को मिलते हैं। श्रीमद्भगवद् गीता से हमें पता चलता है कि हमें ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, कर्म करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। हमें चाहिए कि इन पुस्तकों को पढ़ने के साथ ही इन्हें अमल में भी लेकर आएं। इन पुस्तकों को पढ़ने से मन को शांति भी मिलती है। इन पुस्तकों को पढ़ने के बाद लगता है कि सिर्फ भौतिक सुखों के पीछे नहीं भागना, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन हमारे लिए आवश्यक है। – प्रो. संतोष वर्मा, डिप्टी डायरेक्टर, स्वराज संस्थान संचालनालय

5 साल में दोगुनी हुई स्प्रिचुअल बुक्स की सेल

पिछले कुछ सालों में लोगों का रुझान स्प्रिचुअल बुक्स की ओर काफी बढ़ा है। पिछले 5 साल में आध्यात्मिक बुक्स की सेल में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ती परेशानी के साथ आध्यात्मिक गुरुओं की बढ़ती प्रसिद्धि भी है। अब सीनियर सिटीजन्स के साथ ही यूथ भी इन पुस्तकों को पढ़ रहा है। कई कॉर्पोरेट कंपनी भी अपने स्टाफ को आध्यात्मिक बुक्स पढ़ा रहीं हैं। वहीं, कई पुस्तकें हैं, जो अध्यात्म के जरिए मैनेजमेंट सीखा रही हैं। इस तरह की पुस्तकें यंग और प्रोफेशनल्स के बीच काफी फेमस हो रही हैं। रिटेल में 15 से 20 आध्यात्मिक बुक्स रोज बिकती हैं और कॉर्पोरेट के बल्क ऑर्डर्स भी आते हैं। यदि कहीं किसी आध्यात्मिक गुरु का प्रवचन या कार्यक्रम होता है, तो वहां पर हजारों की संख्या में बुक्स की ब्रिकी होती है। ऐसी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो रही हैं, जो मैनेजमेंट, लीडरशिप और टीमवर्क जैसे व्यावसायिक पहलुओं को अध्यात्म के माध्यम से सिखाती हैं। इन पुस्तकों में मेंटल बैलेंस, टाइम मैनेजमेंट और आत्म निर्भरता जैसे पहलुओं पर जोर दिया जा रहा है। – मनीष गुप्ता, डायरेक्टर, इंद्रा पब्लिशिंग हाउस

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