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ईरान ने पहली बार कबूला- अमेरिकी हमले से परमाणु ठिकानों को हुआ भारी नुकसान; IAEA ने की तत्काल निरीक्षण की मांग

तेहरान। ईरान ने पहली बार आधिकारिक रूप से यह स्वीकार किया है कि अमेरिका द्वारा हाल में किए गए हवाई हमलों में उसके परमाणु ठिकानों को गंभीर और गहरा नुकसान पहुंचा है। अमेरिकी B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स द्वारा अंजाम दिए गए इस सैन्य अभियान को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर नाम दिया गया था, जिसमें खास तौर पर बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया। ईरानी अधिकारियों ने इसे देश की सुरक्षा और प्रभुसत्ता पर बड़ा हमला बताया है, वहीं अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) ने भी तत्काल निरीक्षण की मांग की है।

ईरान ने पहली बार माना- परमाणु ठिकानों को गंभीर नुकसान

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने कतर के मीडिया नेटवर्क अल जजीरा को दिए गए इंटरव्यू में स्पष्ट कहा कि हमारे परमाणु साइटों को गहरा नुकसान पहुंचा है, इसमें कोई शक नहीं। हालांकि उन्होंने हमले के स्थान और क्षति के विस्तृत विवरण से इनकार किया, लेकिन यह ईरान का पहला आधिकारिक बयान है जिसमें अमेरिका के हमलों की पुष्टि की गई है।

क्या है ऑपरेशन मिडनाइट हैमर

सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने इस हमले में अत्याधुनिक B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया जो रडार से बचने में सक्षम हैं। इसके अलावा, बंकर बस्टर बमों का प्रयोग किया गया जो जमीन के नीचे बने मजबूत परमाणु बंकरों को भी नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। इन हमलों का निशाना ईरान की वे परमाणु साइट्स रहीं, जिन्हें अब तक सबसे सुरक्षित माना जाता था।

IAEA की बड़ी मांग- फिर से हो निरीक्षण

IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने बयान जारी कर कहा है कि हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता यह है कि हमारी निरीक्षण टीम ईरान जाकर वास्तविक स्थिति का आकलन करे। उनका कहना है कि IAEA जानना चाहता है कि हमलों के बाद अब भी ईरान के पास कितना संवर्धित यूरेनियम मौजूद है और क्या वह हथियारों के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ा है।

इंटरनेट सेवा बहाल होने का दावा

ईरान में हमलों के बाद कई दिनों तक इंटरनेट सेवाओं में भारी रुकावट आई। कई क्षेत्रों में लगभग पूर्ण इंटरनेट ब्लैकआउट जैसी स्थिति रही। अब ईरान के संचार मंत्री सत्तार हाशेमी ने दावा किया है कि देश में इंटरनेट सेवा अब पहले जैसी स्थिति में वापस आ गई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा, “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी स्थिति दोबारा न हो।”

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह ब्लैकआउट जानबूझकर किया गया ताकि हमलों की सटीक जानकारी और तबाही की तस्वीरें बाहर न जा सकें। लेकिन अब कुछ सैटेलाइट इमेज और ग्राउंड रिपोर्ट्स में परमाणु ठिकानों पर भारी तबाही की तस्वीरें सामने आने लगी हैं।

 

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