
लखनऊ। यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया माफिया अतीक अहमद का बेटा असद अपने पिता को छुड़ाने की फिराक में था। पुलिस को इनपुट मिले थे कि असद ने अतीक के काफिले पर हमला कर उसे छुड़ाने और उमेश पाल मर्डर की तरह एक अन्य जघन्य वारदात की प्लानिंग की थी। इसे देखते हुए पुलिस की कई टीमें एक्टिव की गई थीं।
गुरुवार को पुलिस मुठभेड़ में असद और अतीक के शूटर गुलाम के मारे जाने के बाद उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को पूरे घटनाक्राम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद से ही पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कई टीमें लगाई थीं। इस मामले में पांच लोगों की पहचान की गई थी। इन पर सरकार के स्तर पर पांच-पांच लाख के ईनाम घोषित किए गए थे। इनमें अरमान, असद, गुलाम, गुड्डू और साबिर शामिल थे।
दोपहर साढ़े 12 से एक के बीच हुई मुठभेड़
एडीजी ने बताया कि एसटीएफ के साथ ही सिविल पुलिस की टीमें आरोपियों को दबोचने के लिए लगी थीं। इनपुट मिले थे कि अतीक को साबरमती से प्रयागराज लाने और उसके भाई को बरेली से पेशी के दौरान रास्ते में हमले की योजना थी। पुलिस को पता चला था कि अपराधियों को छुड़वाने के लिए अतीक को ला रहे पुलिस के काफिले पर हमला किया जा सकता है। इसे देखते हुए निगरानी के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ा दी गई थी। विशेष टीमें चौकस थीं। उन्होंने बताया कि आज दोपहर तकरीबन 12:30 बजे से 1 बजे के बीच में एक सूचना के आधार पर कुछ लोगों को पकड़ने की कोशिश की गई तो दौरान दोनों तरफ से फायरिंग होने लगी। इसी मुठभेड़ के दौरान असद और गुलाम घायल हुए। बाद में उनकी मौत हो गई। दोनों के पास से ब्रिटिश बुलडॉग रिवॉल्वर 455 बोर और वॉल्थर पी 88 पिस्टल 7.62 बोर बरामद की गई है।
झांसी के पास छिपे होने का था इनपुट
यूपी एसटीएफ के प्रमुख अमिताभ यश ने बताया कि असद और गुलाम के झांसी के पास बड़ागांव और चिरगांव के बीच छिपे होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद ही इन्हें पकड़ने के लिए ऑपरेशन शुरू किया गया। इलाके को घेरा गया। असद को सरेंडर करने के लिए कहा तो उसने फायरिंग शुरू कर दी। गुलाम ने भी ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। असद 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या के बाद से ही फरार था।
राजू पाल हत्याकांड से जुड़े हैं तार
बता दें कि उमेश पाल 2005 में हुए बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह थे। 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की प्रयागराज में सरेआम गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना में उमेश की सुरक्षा में लगे दो पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई थी। घटना के सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अपराधियों को चिह्नित किया गया था। इन पर सरकार ने पांच लाख रुपए का ईनाम रखा था।