
Indus Water Treaty। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को सस्पेंड किए जाने के फैसले पर पाकिस्तान एक बार फिर भड़क गया है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने अमेरिका में भारत को लेकर तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत यदि पाकिस्तान की जल आपूर्ति रोकता है, तो इसे ‘युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा।
बिलावल ने वॉशिंगटन स्थित मिडल ईस्ट इंस्टीट्यूट में कहा कि अगर जल पर हमला हुआ तो यह पहला ‘परमाणु जल युद्ध’ शुरू करने की वजह बन सकता है।
“ये मज़ाक नहीं, अस्तित्व का संकट है” – बिलावल
बिलावल भुट्टो ने अपने बयान में कहा, “हम ये बातें किसी राष्ट्रवादी सोच या राजनीतिक लाभ के लिए नहीं कह रहे, यह हमारे अस्तित्व से जुड़ा सवाल है। कोई भी देश अपने पानी और अस्तित्व की रक्षा के लिए लड़ेगा, चाहे वो देश कितना भी छोटा या बड़ा क्यों न हो।”
उन्होंने अमेरिका और अन्य देशों से अपील की कि वे भारत पर दबाव डालें ताकि वह सिंधु जल संधि का पालन करे और कोई एकतरफा कदम न उठाए।
“नई संधि की बात तब होगी, जब पुरानी निभे”
बिलावल ने साफ शब्दों में कहा कि अगर भारत के साथ कोई सकारात्मक कूटनीति करनी है, नई संधियां करनी हैं तो सबसे पहले भारत को पुरानी संधियों, विशेषकर सिंधु जल संधि का सम्मान करना होगा।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव
बिलावल ने बताया कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया। इसके बाद भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया। जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौता सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की चेतावनी दी है। साथ ही अटारी-वाघा बॉर्डर बंद करने और भारत से सभी व्यापारिक संबंध तोड़ने की बात भी कही गई है।
क्या है सिंधु जल संधि?
साल 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इसके तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों का जल उपयोग करने का अधिकार मिला था, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों का पानी दिया गया।
भारत का कहना है कि पाकिस्तान बार-बार आतंक को समर्थन देता है और ऐसे में संधि जैसे समझौतों का पालन अब संभव नहीं है।