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अमेरिकी स्टील-एल्युमिनियम पर भारत लगाएगा जवाबी टैरिफ, सुरक्षा का हवाला देकर 25% आयात शुल्क वसूल रहा US, WTO को दी जानकारी

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक टकराव एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है। अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर लगाए गए 25% टैरिफ के खिलाफ भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विरोध दर्ज कराया है और इसके जवाब में खुद भी जवाबी शुल्क लगाने का ऐलान किया है।

क्या है मामला

साल 2018 में अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए भारत से आने वाले स्टील उत्पादों पर 25% और एल्युमिनियम उत्पादों पर 10% आयात शुल्क लगा दिया था। इस कदम को तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बताया था।

हालांकि, WTO ने अमेरिका के इस कदम को सेफ गार्ड उपाय (Safeguard Measures) माना, जिससे यह WTO के नियमों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। इसके चलते भारत को जवाबी कार्रवाई का अधिकार मिल गया।

2025 में फिर से टैरिफ बढ़ा, भारत ने जताया कड़ा विरोध

मार्च 2025 में ट्रंप सरकार ने एक बार फिर सभी देशों से आने वाले स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी, जिसे 12 मई से लागू कर दिया गया है। इसके बाद भारत ने WTO के सेफ गार्ड एग्रीमेंट के तहत अमेरिका से बातचीत करने की मांग की थी। परंतु अमेरिका ने कहा कि यह टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए हैं और WTO के सेफ गार्ड नियमों के अंतर्गत नहीं आते।

WTO में भारत की आपत्ति

भारत ने WTO को सूचित किया है कि वह अमेरिकी सुरक्षा उपायों के जवाब में कुछ व्यापारिक रियायतों को समाप्त करेगा। भारत द्वारा प्रस्तावित जवाबी शुल्क से अमेरिका से आने वाले लगभग 7.6 बिलियन डॉलर के उत्पादों पर असर पड़ेगा, जिन पर लगभग 1.91 बिलियन डॉलर का ड्यूटी लगाया जा सकता है।

अमेरिका को 5.1 बिलियन डॉलर का स्टील-एल्युमिनियम निर्यात करता है भारत

भारत अमेरिका को भारी मात्रा में स्टील और एल्युमिनियम का निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2023 में भारत ने अमेरिका को लगभग 4 अरब डॉलर का स्टील और 1.1 अरब डॉलर का एल्युमिनियम निर्यात किया था। जनवरी 2024 में भारत और अमेरिका के बीच एक समझौता हुआ था जिसमें दोनों देश 336,000 टन स्टील और एल्युमिनियम बिना टैरिफ के आयात-निर्यात करने पर सहमत हुए थे। लेकिन नए टैरिफ के चलते यह समझौता प्रभावित हो सकता है।

टैरिफ बढ़ने से अमेरिका में भारतीय धातुओं की मांग घट सकती है, जिससे भारत के निर्यातकों को सालाना करोड़ों-अरबों का नुकसान हो सकता है।

दुनियाभर में हुई अमेरिका की आलोचना

अमेरिका के इस कदम की आलोचना न केवल भारत बल्कि यूरोपीय यूनियन, कनाडा और अन्य देशों ने भी की है। कई देशों ने जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा भी कर दी है। वैश्विक व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के टैरिफ वैश्विक व्यापार को नुकसान पहुंचाते हैं और WTO जैसे मंच की विश्वसनीयता को भी चुनौती देते हैं।

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