
नई दिल्ली। भारत अब अंतरिक्ष के माध्यम से अपनी सैन्य निगरानी क्षमताओं को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाने जा रहा है। केंद्र सरकार ने अगले चार वर्षों में यानी 2029 तक 52 स्पेशल डिफेंस सैटेलाइट लॉन्च करने की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। यह पहल स्पेस-बेस्ड सर्विलांस फेज-3 (SBS-3) के अंतर्गत की जा रही है। इन सैटेलाइट्स को अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से लैस किया जाएगा, जिससे भारत की सीमाओं और समुद्री क्षेत्रों पर 24×7 निगरानी संभव हो सकेगी।
52 सैटेलाइट्स से अंतरिक्ष में बढ़ेगी भारत की ताकत
सरकार द्वारा 2029 तक कुल 52 सैटेलाइट्स लॉन्च करने की योजना बनाई गई है। ये सभी सैटेलाइट चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र पर भी नजर रखेंगे। ये उपग्रह लो-अर्थ ऑर्बिट और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में तैनात किए जाएंगे, जो रियल टाइम इमेजिंग, डेटा ट्रांसफर और कम्युनिकेशन को सुनिश्चित करेंगे।
AI से लैस होंगे सैटेलाइट, आपस में भी कर सकेंगे कम्युनिकेशन
नई टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि ये सभी सैटेलाइट्स AI बेस्ड होंगे। 36,000 किमी की ऊंचाई पर स्थित सैटेलाइट एक-दूसरे से संवाद कर सकेंगे, जिससे धरती पर इंसानी हस्तक्षेप के बिना तेजी से फैसले लिए जा सकेंगे। इससे सीमाओं पर किसी भी गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया संभव होगी।
26,968 करोड़ का बजट, निजी कंपनियों की भी होगी साझेदारी
SBS-3 परियोजना के लिए कुल 26,968 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है, जिसे पिछले साल अक्टूबर में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी द्वारा मंजूरी दी गई थी। इस योजना में ISRO 21 सैटेलाइट्स बनाएगा जबकि शेष 31 उपग्रह तीन भारतीय निजी कंपनियों द्वारा निर्मित किए जाएंगे। पहला सैटेलाइट अप्रैल 2026 तक लॉन्च किए जाने की संभावना है, हालांकि समयसीमा को और कम करने के प्रयास जारी हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद योजना में आई तेजी
7 से 10 मई 2025 के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर भारत ने बड़ी सैन्य कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन के दौरान घरेलू और विदेशी सैटेलाइट डेटा का उपयोग किया गया, लेकिन रियल टाइम ट्रैकिंग में आई समस्याओं ने इस योजना को तत्काल लागू करने की आवश्यकता को उजागर किया।
SBS मिशन की शुरुआत वाजपेयी सरकार ने की थी
भारत का स्पेस बेस्ड सर्विलांस मिशन कोई नया प्रयास नहीं है। इसकी नींव 2001 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने SBS-1 प्रोग्राम के तहत रखी थी, जिसमें RISAT (Radar Imaging Satellite) सहित 4 सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे। इसके बाद 2013 में SBS-2 के तहत 6 सैटेलाइट लॉन्च हुए।
चीन और पाकिस्तान के अलावा हिंद महासागर पर भी पैनी नजर
इस परियोजना के तहत निगरानी केवल थल सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगी। भारत की रणनीति में अब हिंद महासागर को भी प्रमुखता दी जा रही है, जहां चीन की बढ़ती सैन्य और नौसैनिक गतिविधियां चिंता का विषय हैं। SBS-3 के सैटेलाइट इन गतिविधियों की भी हाई-रिजोल्यूशन मॉनिटरिंग करेंगे।
दो ऑर्बिट में तैनात की जाएंगी सैटेलाइट्स
इन सैटेलाइट्स के लिए दो ऑर्बिट को चुना गाया है। पहला लो अर्थ ऑर्बिट होगा यानी पृथ्वी की निचली कक्षा। पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा है जो पृथ्वी की सतह से 160 किलोमीटर से 2000 किलोमीटर के बीच होती है। यह पृथ्वी की सबसे नजदीकी कक्षा है। दूसरा ऑर्बिट जियोस्टेशनरी ऑर्बिट होगो जो पृथ्वी की सतह से 35,786 किलोमीटर ऊपर की एक गोलाकार कक्षा है। इस कक्षा में घूमने वाले उपग्रहों को जियोस्टेशनरी सैटेलाइट कहते हैं।