
नई दिल्ली। संसद की स्थायी समिति की एक अहम बैठक में सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भारत की विदेश नीति, क्षेत्रीय तनाव और हालिया संघर्षों को लेकर कई गंभीर और स्पष्ट टिप्पणियाँ कीं। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर में मध्यस्थता के दावों से लेकर पाकिस्तान की परमाणु धमकी और तुर्की के साथ भारत के संबंधों तक तमाम मुद्दों पर समिति को जानकारी दी।
सीजफायर पर ट्रंप के दावे को बताया बेबुनियाद
विदेश सचिव ने दो टूक कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पूरी तरह से द्विपक्षीय स्तर पर हुआ और इसमें अमेरिका या ट्रंप की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा, “ट्रंप ने सीजफायर के बीच में आने के लिए हमसे कोई अनुमति नहीं ली थी, वो आना चाहते थे, इसलिए आ गए।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा बार-बार की गई मध्यस्थता की बातों में कोई सच्चाई नहीं है। समिति के सदस्यों द्वारा पूछे गए सवालों पर उन्होंने जवाब दिया कि भारत सरकार ने किसी भी स्तर पर ट्रंप को इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया।
पाक के परमाणु धमकी पर दिया जवाब
पाकिस्तान को लेकर विदेश सचिव ने कहा कि 1947 से ही हमारे पाकिस्तान के साथ रिश्ते खराब रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों (DGMO) के बीच संवाद हमेशा जारी रहता है। मिस्री ने यह भी कहा कि अब तक पाकिस्तान की तरफ से किसी तरह की परमाणु हमले की धमकी नहीं दी गई है और टकराव पारंपरिक हथियारों तक ही सीमित रहा है।
तुर्की से रिश्ते कभी बहुत अच्छे या बहुत खराब नहीं रहे
विदेश सचिव ने बताया कि भारत और तुर्की के बीच संबंध न तो कभी बहुत खराब हुए हैं और न ही कोई गहरा सहयोग रहा है। उन्होंने कहा, “तुर्की के साथ किसी भी संघर्ष में व्यापार या रणनीतिक टकराव की कोई घटना नहीं मिली है।”
बैठक के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार पर हुए साइबर हमले की भी चर्चा हुई। समिति ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे दुर्भावनापूर्ण और अस्वीकार्य बताया।
चीन निर्मित हथियारों पर मिस्री का तीखा जवाब
जब समिति के सदस्यों ने यह पूछा कि क्या हालिया संघर्ष में चीन के बनाए हथियारों का इस्तेमाल हुआ तो विदेश सचिव ने जवाब दिया कि किसने क्या इस्तेमाल किया, इससे फर्क नहीं पड़ता। हमने उनके एयरबेस तबाह कर दिए, यही मायने रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने कितने विमान इस संघर्ष में खोए, यह सुरक्षा से जुड़ा विषय है और सार्वजनिक रूप से इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
एस जयशंकर के बयान पर उठे सवाल
बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान को लेकर कुछ विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। इस पर सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि जयशंकर का बयान गलत तरीके से पेश किया गया है और ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण के बाद ही पाकिस्तान को सूचित कर दिया गया था कि यह कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर की गई थी।
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