
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों ने एक्सिओम-4 मिशन से पहले क्वारंटीन में प्रवेश कर लिया है। अमेरिका की प्राइवेट अंतरिक्ष कंपनी एक्सिओम स्पेस ने इसकी पुष्टि की है। क्वारंटीन की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हुई, जिसमें मिशन के सभी चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हुए। अंतरिक्ष मिशनों से पहले क्वारंटीन एक महत्वपूर्ण चरण होता है, ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचा जा सके।
शुभांशु बोले- मिशन जरूर होगा सफल
क्वारंटीन में जाने से पहले आयोजित विदाई कार्यक्रम में शुभांशु शुक्ला ने कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि एक्सिओम मिशन सफल रहेगा। यह कमर्शियल स्पेस फ्लाइट की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।” इस मौके पर एक्सिओम स्पेस के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने पारंपरिक अंदाज़ में अंतरिक्ष यात्रियों को विदाई दी।
8 जून को होगा लॉन्च
यह मिशन 8 जून 2025 को शाम 6:41 बजे (भारतीय समयानुसार) फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा। चारों एस्ट्रोनॉट स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में बैठकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे। मिशन की कुल अवधि 14 दिन की होगी।
एक्सिओम-4 मिशन में शामिल चार देशों के यात्री
एक्सिओम-4 मिशन में भारत के अलावा अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के यात्री शामिल हैं:
- शुभांशु शुक्ला – पायलट (भारत)
- पैगी व्हिटसन – कमांडर (अमेरिका)
- स्लावोज़ उज़्नान्स्की – मिशन विशेषज्ञ (पोलैंड)
- टिबोर कापू – मिशन विशेषज्ञ (हंगरी)
यह मिशन अमेरिका की प्राइवेट कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा के सहयोग से आयोजित हो रहा है।
शुभांशु शुक्ला का अब तक का सफर
- शुभांशु उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले हैं।
- स्कूली शिक्षा लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल, अलीगंज से हुई।
- 12वीं के बाद NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) की परीक्षा पास की और वहीं से ग्रेजुएशन किया।
- 2006 में इंडियन एयरफोर्स में फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए।
- उन्हें मिग-21, मिग-29, सुखोई-30, जगुआर जैसे कई विमानों को उड़ाने का अनुभव है।
- 2019 में इसरो ने उन्हें गगनयान मिशन के लिए चुना था।
- रूस के यूरी गागरिन ट्रेनिंग सेंटर और बेंगलुरु स्थित ट्रेनिंग फैसिलिटी में उन्होंने एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग पूरी की।
- शुभांशु के पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग अनुभव है।
मिशन का उद्देश्य क्या है?
एक्सिओम-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयोग करना है:
- माइक्रोग्रैविटी में वैज्ञानिक अनुसंधान
- नई तकनीकों की टेस्टिंग और प्रदर्शन
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
- शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से जागरूकता फैलाना
यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के साथ-साथ भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (Axiom Station) की नींव भी रखेगा।
भारत के लिए ऐतिहासिक मौका
इस मिशन में भारत की ओर से शुभांशु शुक्ला का चयन ISRO और NASA के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत हुआ है। बताया जा रहा है कि इसरो ने इस मिशन के लिए करीब 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। शुभांशु ISS की यात्रा करने वाले पहले भारतीय होंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा सोवियत संघ के साथ स्पेस में गए थे।
जानिए क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS)?
- ISS पृथ्वी के 400 किमी ऊपर माइक्रोग्रैविटी में चक्कर लगाता है।
- इसकी स्पीड लगभग 28,000 किमी/घंटा है।
- हर 90 मिनट में यह पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है।
- इसमें 6 स्लीपिंग क्वार्टर, 2 बाथरूम, एक जिम और 360 डिग्री व्यू विंडो है।
- अमेरिका, रूस, जापान, यूरोप और कनाडा की एजेंसियों ने मिलकर इसे बनाया है।
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