मुंबई। समय के साथ-साथ फिल्म जगत ने भी खुद को पूरी तरह से बदल लिया है। सिनेमा प्रेमी फिल्म जगत से जुड़ी हर छोटी बड़ी हलचल के बारे में जानना चाहते हैं। ऑडिशन से लेकर फिल्मों में काम मिलने तक चीजें कैसे आगे बढ़ती थीं इस बात को जानने के लिए प्रशंसक हमेशा उत्सुक रहते हैं। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि 1951 के दौर में अभिनेत्रियों के लिए फिल्मों में अपनी जगह बनाना कितना मुश्किल था और उन्हें किस तरह के ऑडिशन देने पड़ते थे।
60 के दशक में निर्देशक लेते थे ऑडिशन
1951 के दौर में निर्देशक खुद ही अभिनेत्री का ऑडिशन लेते थे। 1951 के ऑडिशन की ये तस्वीरें एक जानी-मानी मैगजीन में पब्लिश हुई थी। जिसे जेम्स बुर्के ने क्लिक की थी। इन तस्वीरों में फिल्म जगत के जाने-माने निर्देशक अब्दुल राशिद करदार लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट लेते नजर आ रहे हैं। वहीं आज के दौर की बात की जाए तो अब ऑडिशन लेने के लिए एक कास्टिंग टीम होती है और कई-कई राउंड होते हैं। जिसके बाद ही एक्ट्रेस की सिलेक्शन किया जाता है।
निर्देशक के सामने साड़ी बदलती थीं मॉडल्स
उस दौर में लड़कियां घर से तैयार होकर नहीं आती थीं बल्कि वो निर्देशक के सामने ही साड़ी बदलती थीं। इसी के साथ लड़कियों की एक्टिंग के साथ-साथ उनके पूरे लुक को भी चेक किया जाता था। इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि लड़कियां निर्देशक के सामने ही साड़ी बदल रही हैं।
बहुत ही बारीकी से लिए जाते थे ऑडिशन
निर्देशक अपनी फिल्म कि हीरोइन को चुनने के लिए बहुत ही बारीकी से ऑडिशन लेते थे। आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि उनके हेयर से लेकर हर चिज तक किस तरह से निर्देशक मॉडल से बातचीत कर रहे हैं।
हिम्मत और आत्मविश्वास था जरूरी
साड़ी के बाद वेस्टर्न ड्रेस में आप देख सकते हैं कि मॉडल्स पूरे कॉन्फिडेंस के साथ निर्देशक के सामने खड़ी हैं। 1951 में जब भी किसी अभिनेत्री को रोल के लिए कास्ट किया जाता था तो उसमें हर तरह की भूमिका करने की हिम्मत हो और साथ ही उसमें कोई भी चुनौती का सामना करने का आत्मविश्वास हो इस चीज का निर्देशक खासा ख्याल रखते थे।
आसान नहीं था रोल पाना
अभिनेत्रियों को ऑडिशन के साथ-साथ निर्देशक के कई सवालों के जवाब का भी सामना करना पड़ता था। एक साथ कई लड़कियों के ऑडिशन होते थे जिसमें से निर्देशक किसी एक को अभिनेत्री को भूमिका के लिए चुनते थे। लोगों को भले ही ये लगता हो कि उस दौर में फिल्मों में किसी भूमिका को पाना आसान है, लेकिन ये बिलकुल आसान नहीं होता था।
एक भूमिका के लिए पास किए कई पड़ाव
1951 में फिल्मों में भूमिका पाना कोई आसान काम नहीं था, इसके लिए लड़कियों को कई पड़ाव पार करने पड़ते थे। उस समय निर्देशक हर एक चीज नोटिस करते थे। ऑडिशन के लिए पहुंची लड़कियों को निर्देशक के पैरामीटर पर खरे उतरना पड़ता था। जिसके लिए उन्हें निर्देशक जैसा कहता था उसी हिसाब से ऑडिशन देना पड़ता था। देसी और वेस्टर्न दोनों ही लुक्स में लड़कियों को ऑडिशन देना पड़ता हैं।