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मप्र-महाराष्ट्र में हुआ ऐतिहासिक समझौता, दोनों राज्यों को पेयजल संकट से मिलेगी राहत, ताप्ती बेसिन परियोजना पर MOU साइन

भोपाल। देश की जल प्रबंधन प्रणाली को नई दिशा देने वाली ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना को लेकर शनिवार को मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों के बीच एक ऐतिहासिक समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता राजधानी भोपाल स्थित मंत्रालय में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। यह परियोजना न केवल भूजल संरक्षण बल्कि वर्षा जल संचयन की दृष्टि से भी भारत की सबसे बड़ी संयुक्त प्रयासों में गिनी जाएगी।

अंतरराज्यीय जल सहयोग की नई मिसाल

यह एमओयू मप्र-महाराष्ट्र अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 28वीं बैठक के दौरान हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और देवेंद्र फडणवीस ने इसे “जल प्रबंधन के क्षेत्र में साझी प्रतिबद्धता” करार देते हुए इसे देश की भविष्य की जल सुरक्षा रणनीति के लिए मील का पत्थर बताया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे मध्यप्रदेश की तीसरी बड़ी अंतरराज्यीय परियोजना करार दिया।

31.13 टीएमसी जल का होगा उपयोग

ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना में कुल 31.13 टीएमसी जल का उपयोग प्रस्तावित है, जिसमें से 11.76 टीएमसी मध्यप्रदेश को और 19.36 टीएमसी जल महाराष्ट्र को मिलेगा। इस जल का उपयोग सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाएगा। परियोजना को राष्ट्रीय जल परियोजना घोषित कराने की दिशा में भी केंद्र सरकार से पहल की जाएगी।

परियोजना से नहीं होगा गांव का विस्थापन

परियोजना से संबंधित निर्माण कार्यों- जैसे बांध और नहरों के लिए मध्यप्रदेश में कुल 3,362 हेक्टेयर भूमि उपयोग में लाई जाएगी, लेकिन खास बात यह है कि इस योजना से किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा और न ही पुनर्वास की आवश्यकता पड़ेगी। यह पर्यावरण-संवेदनशीलता और सामाजिक संतुलन की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

4 तहसीलों में सिंचाई की सुविधा

परियोजना से मध्यप्रदेश के बुरहानपुर और खंडवा जिलों की 4 तहसीलों- बुरहानपुर, नेपानगर, खकनार और खालवा के 1,23,082 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी। वहीं, महाराष्ट्र के उत्तर क्षेत्र के 2,34,706 हेक्टेयर क्षेत्र को स्थायी सिंचाई लाभ प्राप्त होगा। इससे कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

नागपुर और छिंदवाड़ा को भी मिलेगा लाभ

परियोजना के माध्यम से न केवल ग्रामीण कृषि क्षेत्र बल्कि शहरी जलापूर्ति व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। नागपुर जैसे बड़े शहरों में पीने के पानी की समस्या का समाधान इस परियोजना से संभव होगा, वहीं छिंदवाड़ा जिले में भी सिंचाई जल की समुचित आपूर्ति की जाएगी।

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