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हिंडनबर्ग मामले में पूर्व SEBI चीफ माधबी पुरी बुच को मिली क्‍लीन चि‍ट, लोकपाल ने सभी शिकायतों को किया खारिज

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहीं सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को लोकपाल की एंटी करप्शन बॉडी ने क्लीन चिट दे दी है। लोकपाल ने अपनी जांच में स्पष्ट किया है कि बुच और उनके पति धवल बुच के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार, अप्रमाणित और अनुमानों पर आधारित हैं। इसलिए उनके खिलाफ जांच का कोई आधार नहीं बनता।

लोकपाल ने कहा- कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले

लोकपाल के आदेश में कहा गया है ‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि शिकायतों में लगाए गए सभी आरोप अनुमानों और मान्यताओं पर आधारित हैं। शिकायतकर्ता रिपोर्ट से स्वतंत्र होकर आरोपों को स्पष्ट करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन हमारे विश्लेषण से यह साबित हुआ कि आरोप अपुष्ट, अप्रासंगिक और तुच्छ हैं। इसलिए सभी शिकायतों को खारिज किया जाता है।’

जांच के दायरे में थे ये 5 प्रमुख आरोप

लोकपाल ने माधबी बुच और उनके पति पर लगाए गए पांच मुख्य आरोपों की विस्तार से जांच की, जो इस प्रकार हैं…

  1. अडाणी ग्रुप से जुड़ी विदेशी फंडिंग में बुच दंपति की हिस्सेदारी का आरोप
  2. M&M और ब्लैकस्टोन जैसी कंपनियों से कंसल्टेंसी फीस के नाम पर गुप्त लेन-देन
  3. वॉकहार्ट कंपनी से किराए की इनकम के नाम पर संदिग्ध भुगतान
  4. 2017 से 2024 के बीच ICICI बैंक के ESOP बेचकर अनुचित लाभ प्राप्त करना
  5. कुछ कंपनियों से जुड़े मामलों से खुद को अलग दिखाने की कोशिश, जबकि हितों का टकराव मौजूद था

लोकपाल ने इन सभी आरोपों की जांच के बाद उन्हें असत्य, अप्रमाणित और कानूनन अपर्याप्त पाया।

हिंडनबर्ग ने लगाए थे गंभीर आरोप

10 अगस्त 2024 को अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति का अडाणी ग्रुप के विदेशी निवेश फंड में हिस्सेदारी है। रिपोर्ट में सेबी और अडाणी ग्रुप के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया गया था। बुच दंपति ने इन आरोपों को शुरू से ही स्पष्ट रूप से खारिज किया था और कहा था कि उन्होंने कुछ भी नहीं छिपाया है और सभी वित्तीय लेनदेन कानून के दायरे में हैं।

सेबी में बुच का कार्यकाल और अडाणी विवाद की पृष्ठभूमि

  • माधबी पुरी बुच ने 2017 में सेबी को जॉइन किया था।
  • मार्च 2022 में वे सेबी की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं।
  • उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2025 तक रहा। इस दौरान उन्होंने IPO नियमों, स्टॉक्स और F&O मार्केट से जुड़े कई अहम बदलाव लागू किए।

इसी दौरान अडाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आई, जिसने शेयर बाजार में उथल-पुथल मचा दी थी। इसके बाद रिपोर्ट में बुच पर भी सवाल खड़े किए गए थे।

विपक्ष ने की थी बर्खास्तगी की मांग

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों ने माधबी बुच को हटाने की मांग की थी। साथ ही आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार सेबी के जरिए अडाणी ग्रुप को संरक्षण दे रही है। लेकिन अब लोकपाल की रिपोर्ट से बुच को पूरी तरह से राहत मिल गई है और उन पर लगे सभी भ्रष्टाचार के आरोप खारिज कर दिए गए हैं।

नई सेबी प्रमुख की नियुक्ति

माधबी पुरी बुच के रिटायरमेंट के बाद तुहिन कांत पांडे को नया सेबी प्रमुख नियुक्त किया गया है। वे पहले वित्त मंत्रालय में सचिव पद पर कार्यरत थे।

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