
भोपाल/श्योपुर। कूनो नेशनल पार्क में खुले जंगल में घूम रही एक मादा चीता अचानक से लापता हो गई है। मादा चीता की रेडियो कॉलर खराब होने से लोकेशन नहीं मिल पा रही है, जिससे कूनो प्रबंधन में हड़कंप मच गया है। दरअसल, चीतों को संक्रमण से बचाने के लिए बाड़े में शिफ्ट किया जा रहा है।
कूनो पार्क के कुल 15 चीतों में से 13 को बड़े बाड़ों में शिफ्ट कर दिया गया है। जबकि 2 चीते अभी खुले जंगल में हैं, जिनको भी पकड़कर बाड़े में शिफ्ट करना है, लेकिन इनमें से एक मादा चीता ‘निर्वा’ का रेडियो कॉलर खराब हो गया है। कूनो प्रबंधन की ट्रैकिंग टीम मादा चीता निर्वा की लोकेशन ट्रेस करने में जुटी हुई है। जंगल में पेट्रोलिंग टीम चीते के पग मार्क और शिकार के अवशेष के आधार पर लोकेशन ढूंढ रही है।
खतरे में चीता प्रोजेक्ट
बता दें कि कूनो में अब तक 5 चीतों और 3 शावकों की मौत हो चुकी है। इसके चलते भारत का चीता प्रोजेक्ट फिलहाल संकट के दौर से गुजर रहा है। इस प्रोजेक्ट की प्रारंभिक विफलता का ठीकरा पिछले दिनों मध्य प्रदेश के तत्कालीन पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान पर फूटा था। उन्हें इस पद से हटाते हुए असीम श्रीवास्तव को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके बाद भी पहले तीन चीतों को कीड़े लगने और अब एक मादा चीता के गायब होने से पीएम का ये ड्रीम प्रोजेक्ट खतरे में आ गया है।
सर्चिंग में जुटी कूनो टीम
श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क के जंगल से लापता मादा चीता निर्वा का अधिकारियों को कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। कूनो प्रबंधन पिछले दो दिनों से सर्चिंग ऑपरेशन चला रहा है। इसके बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है। सर्च को तेज करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल करना शुरू किया है। इसके साथ ही पग मार्क की मदद भी ली जा रही है। मादा चीता निर्वा के गले में लगे कॉलेज आईडी काम नहीं करने की वजह से उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने निर्वा सीमा से बाहर जाते हुए देखा है।
चीतों का मेडिकल चेकअप चल रहा
कूनो नेशनल पार्क के बाड़े के अंदर सभी चीतों का मेडिकल चेकअप भी शुरू हो गया है, जिसमें कूनो की टीम, नामीबिया और साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट के साथ जांच कर रही है। इसके लिए चीतों को जंगल से पकड़कर वापस बाड़े में लाया गया है। अब तक कुल 15 चीतों में से 13 चीते बाड़े में लाए जा चुके हैं। साथ ही 6 चीतों की रेडियो कॉलर भी हटा दिए गए हैं। बाड़े में अभी 13 चीता हैं, जिनमें 7 नर और 6 मादा हैं। वहीं अधिकारियों का कहना है कि सभी चीता स्वस्थ हैं।
चीते ओबान के घाव में पड़ गए थे कीड़े
नर चीते तेजस और सूरज की गर्दन पर मिले घाव के बाद सभी चीतों के गले से कॉलर आईडी हटाई जा रही है। संक्रमित पाए जाने पर जब चीते ओबान की कॉलर आईडी को हटाया गया तो वन अधिकारी भौंचक्के रह गए, चीते के शरीर पर गहरा जख्म हो गया था। चीते के शरीर पर मिले गहरे घाव में कीड़े तक पड़ चुके। फिलहाल, उसका इलाज किया जा रहा है।
अब तक 5 चीते और तीन शावक की मौत
कूनो नेशनल पार्क में अब तक दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए कुल 20 चीतों में से अब तक यह 8 वीं मौत है। इसके अलावा यहां पैदा हुए 5 शावक में से तीन शावक भी दम तोड़ चुके हैं।
जानें कब-कब हुई मौतें
- सबसे पहले 27 मार्च 2023 को मादा चीता साशा की मौत हुई थी। साशा की मौत किडनी इन्फेक्शन से हुई।
- 23 अप्रैल 2023 को साउथ अफ्रीका से लाए गए नर चीता उदय की मौत हुई थी।
- 9 मई 2023 को मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत हो गई थी। दक्षा को दक्षिण अफ्रीका से कूनो लाया गया था।
- 23 मई 2023 को मादा चीता ज्वाला के एक शावक की मौत हो गई।
- 25 मई 2023 को मादा चीता ज्वाला के दो और शावकों ने दम तोड़ दिया था।
- 11 जुलाई 2023 को एक और चीते तेजस की मौत हो गई।
- 14 जुलाई 2023 को चीते सूरज की मौत हो गई।
नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए चीते
भारत में चीतों की आबादी को फिर से बसाने के लिए 8 चीतों को नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क लाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को इन्हे विशेष बाड़ों में छोड़ा। इनमें 5 मादा और 3 नर चीते शामिल थे। इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते (7 नर और 5 मादा) कूनो नेशनल पार्क में लाए गए थे।
कूनो में चार शावकों के जन्म के बाद चीतों की कुल संख्या 24 हो गई थी, लेकिन 8 मौतों के बाद यह संख्या घटकर 16 रह गई है। इससे पहले भारत में चीतों को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।