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रिटायरमेंट के बाद भी पद पर जमे अफसरों को एग्जिट पोल से उम्मीद…क्योंकि सत्ता बदली तो इनका भी बदलना तय

मप्र के नतीजे आज...ज्यादातर एग्जिट पोल में भाजपा का पलड़ा भारी, आज साफ होगी तस्वीर

मनीष दीक्षित-भोपाल। मध्य प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, यह रविवार रात तक स्पष्ट होगा। लेकिन, भाजपा के अलावा एक और वर्ग है, जो 30 नवंबर को आए एग्जिट पोल के बाद थोड़ी राहत महसूस कर रहा है। राजनीतिक दलों की तरह इनकी निगाह भी नतीजों पर है। यह वर्ग उन सेवानिवृत्त अधिकारियों का है, जो रिटायरमेंट के बाद भी सरकार में विभिन्न पदों पर बने हुए हैं। एग्जिट पोल में भाजपा की सरकार बनने के दावों के बाद ये सेवानिवृत्त अधिकारी उत्साह से लबरेज हैं। ये भी नहीं चाहते कि मप्र में सत्ता की बागडोर बदले। ऐसा इसलिए नहीं कि यह किसी पार्टी विशेष के समर्थक हैं, बल्कि इसलिए कि यदि नतीजा उम्मीद के अनुसार नहीं आया, तो इनमें से अधिकतर को पद और वे सभी सुविधाएं जाने का खतरा रहेगा, जो सेवानिवृत्ति के बाद भी मिल रही हैं।

ये अफसर रिटायरमेंट के बाद बड़े पदों पर

अशोक शाह वाणिज्यिक कर अपीलीय बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर हैं। इनकी नियुक्ति मप्र में चुनाव आचार संहिता लगने से कुछ घंटे पहले हुई थी। मप्र विद्युत नियामक आयोग की बागडोर रिटायर्ड आईएएस अधिकारी एसपीएस परिहार संभाल रहे हैं। रिटायर्ड अधिकारी एपी श्रीवास्तव रेरा में अध्यक्ष और नीरज दुबे सचिव के तौर पर पदस्थ हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष पद पर पूर्व मुख्य सचिव बीपी सिंह सेवाएं दे रहे हैं। एमबी ओझा मप्र राज्य सहकारी प्राधिकरण का कामकाज देख रहे हैं। श्रीकांत पांडेय राज्य उपभोक्ता आयोग के सदस्य हैं। एसएस रूपला एनएचएआई में सलाहकार बने हुए हैं। लोकसभा की पूर्व सचिव और प्रदेश की पूर्व आईएएस अधिकारी स्नेहलता श्रीवास्तव वाणिज्यिक कर विभाग में जांच अधिकारी हैं। विनोद सेमवाल एनवीडीए के शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और अशोक भार्गव प्रकोष्ठ के सदस्य हैं। बीआर नायडू, जनअभियान परिषद, अरुण भट्ट मप्र स्टेट एनवॉयर्नमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) के चेयरमैन हैं। मंत्री गोविंद राजपूत के रिश्तेदार नरेंद्र सिंह परमार भी मप्र राज्य भूमि सुधार आयोग के सलाहकार हैं।

कुछ ऐसे भी, जो सत्ता परिवर्तन में भविष्य देख रहे

कई अधिकारी ऐसे भी हैं, जो वर्तमान व्यवस्था में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं और आने वाले समय में कुछ पाने की आस लगाए हैं। मसलन, जो अधिकारी अभी विभिन्न जिम्मेदारी उठा रहे हैं, वे चाह रहे हैं कि वर्तमान सरकार ही चुनाव जीतकर आए, जिससे उनका पद बना रहे। वहीं, दूसरी तरफ अधिकारियों का एक अलग वर्ग भी है, जो सत्ता परिवर्तन की आड़ में अपना भविष्य देख रहा है।

इन प्रमुख पूर्व आईएएस अफसरों का पुनर्वास

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