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Delhi : आप से 97 करोड़ की वसूली पर सियासत, पार्टी ने कहा- भाजपा के निर्देश पर एलजी ने आदेश निकाला

दिल्ली सरकार द्वारा राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल करने पर एलजी ने दिए हैं रिकवरी के आदेश

नई दिल्ली। दिल्ली में उपराज्यपाल (Delhi LG) और आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के बीच एक बार फिर टकराव की स्थिति है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सरकारी विज्ञापन के नाम पर राजनीतिक विज्ञापन देने के मामले में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपये वसूलने का मुख्य सचिव को निर्देश दिया है।

इधर, आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने भाजपा के निर्देश पर ‘अवैध’ आदेश जारी किया, जो दिल्ली नगर निगम (MCD) चुनाव में हार के बाद ‘घबराई’ हुई है। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने ‘विज्ञापन घोटाले’ का आरोप लगाया और इसकी सीबीआई (CBI) जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि इस बाबत उपराज्यपाल से मुलाकात की जाएगी। बिधूड़ी का दावा है कि पिछले 8 साल में विज्ञापन पर लगभग 2,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

कांग्रेस ने कहा- खुशी है कि राज्यपाल नींद से जागे

उधर, भाजपा ने एलजी के निर्देशों के बाद दावा किया कि आम आदमी पार्टी से वसूल की जाने वाली राशि बढ़कर 400 करोड़ रुपए हो जाएगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने भी उपराज्यपाल के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि वह (उपराज्यपाल) नींद से जाग गए हैं।

अजय माकन ने की थी शिकायत

बताते चलें कि कांग्रेस नेता अजय माकन ने सरकारी विज्ञापन में सामग्री नियमन समिति’ (CCRGA) को 2016 में इस संबंध में शिकायत दी थी। इस समिति का गठन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह देखने के लिए किया है कि विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप हैं या नहीं। सीसीआरजीए ने तब ‘आप’ सरकार को निर्देश दिया था कि पार्टी के विज्ञापनों पर खर्च की गई रकम को राज्य के खजाने में जमा किया जाए। उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया कि सितंबर 2016 के बाद के सभी विज्ञापनों को सीसीआरजीए को भेजा जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप हैं या नहीं।

गैरजरूरी विज्ञापनों पर खर्च की थी राशि

सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) ने बताया कि गैर-अनुरूप विज्ञापनों पर 97.14 करोड़ रुपए (97,14,69,137 रुपए) खर्च किए गए। डीआईपी ने इसके लिए 42.26 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान पहले ही कर दिया है और प्रकाशित विज्ञापनों के लिए 54.87 करोड़ का पेमेंट पेंडिंग है।

5 साल बाद भी नहीं जमा कराया पैसा

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार के डीआईपी ने 2017 में ‘आप’ को निर्देश दिया था कि वह सरकारी खजाने में तत्काल 42.26 करोड़ रुपए जमा करे और 30 दिन के अंदर संबंधित विज्ञापन एजेंसियों या प्रकाशकों को सीधे 54.87 करोड़ रुपए की लंबित राशि का पेमेंट करे। 5 साल 8 महीने बाद भी ‘आप’ ने DPI के आदेश का पालन नहीं किया है। इसे न्यायपालिका के आदेश की अवहेलना बताया जा रहा है।

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