भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें राष्ट्रीय मुद्दों पर आंदोलनों की योजना बनाने के लिए गठित समिति का चेयरमैन बनाया है। समिति में दिग्विजय के अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा समेत आठ सदस्य बनाए गए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय मुद्दों पर निरंतर आंदोलन की योजना तैयार करने के लिए 9 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें दिग्विजय सिंह चेयरमैन, प्रियंका गांधी, उत्तम कुमार रेड्डी, मनीष चतरथ, बीके हरिप्रसाद, रिपुन बोरा, उदित राज, डॉ. रागिनी नायक और जुबेर खान को सदस्य बनाया गया है।
Congress President Smt. Sonia Gandhi has constituted the following committee to plan sustained agitations on nation issues, with immediate effect. pic.twitter.com/KYCJqvckFZ
— INC Sandesh (@INCSandesh) September 2, 2021
कांग्रेस समेत 19 दलों ने धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया है
हाल ही में कांग्रेस समेत 19 राजनीतिक दलों ने घोषणा की थी कि वे 20 सितंबर से 30 सितंबर तक देशभर में संयुक्त धरना-प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी, राष्ट्रीय संपत्ति के मौद्रीकरण योजना और कृषि कानून जैसे मसलों को लेकर लगातार सरकार को घेर रही है।
दिग्विजय राजनीति में जुझारू नेता, सरकार के खिलाफ लगातार मुखर
दिग्विजय को मध्य प्रदेश और देश की राजनीति में जुझारू नेता माना जाता है। कुछ दिनों पहले दिग्विजय (74 साल) भोपाल में एनएसयूआई के नेताओं की तरह प्रदर्शन करते हुए दिखाई दिए थे। इससे पहले गोविंदपुरा इलाके में भी दिग्विजय वाटर कैनन के सामने खड़े होकर पुलिस के बैरीकेड्स पर चढ़ते दिखे थे। सिंह ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले नर्मदा परिक्रमा की थी, जिसका लाभ पार्टी को चुनाव में मिला था। इसके साथ उन्होंने संगत में पंगत कार्यक्रम चलाकर पार्टी से नाराज होकर घर बैठे कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का काम किया था।
जी-23 नेताओं को मनाने के लिए भी 11 सदस्यीय कमेटी बनाई थी
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 11 सदस्यीय एक कमेटी गठित की थी, इसमें गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे जी-23 के उन नेताओं को भी शामिल किया, जिनके बारे में माना जाता रहा है कि ये पार्टी नेतृत्व से अंसतुष्ट चल रहे हैं। ऐसे में मनमोहन की अध्यक्षता में बनी कमेटी में इन नेताओं को शामिल करने के फैसले को पार्टी में अंदरूनी कलह को दूर करने और सभी को साथ लाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।