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Dhanteras 2023 : धनतेरस आज… इस शुभ मुहूर्त में करें खरीदारी और पूजा-अर्चना, जरूर करें ये आरती

धर्म डेस्क। हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस साल 10 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर, भगवान गणेश, यमदेव और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन सोने-चांदी कि चीजें और बर्तन खरीदने की परंपरा होती है। ऐसा कहा जाता है धनतेरस के शुभ अवसर और मुहूर्त पर नया कार्य करने और खरीदारी से इसमें तेरह गुना की वृद्धि होती है। तो चलिए आपको बताते हैं खरीदारी का शुभ मुहूर्त-

धनतेरस पूजन मुहूर्त

  • धनतेरस तिथि- 10 नवंबर 2023, शुक्रवार
  • प्रदोष काल- शाम 05 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर 08 बजकर 08 मिनट तक।
  • धनतेरस पूजन मुहूर्त- शाम 5 बजकर 47 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 बजे से लेकर 12 बजकर 26 मिनट तक।
  • शुभ चौघड़िया- सुबह 11 बजकर 59 बजे से दोपहर 1 बजकर 22 मिनट तक।
  • चर चौघड़िया- शाम 4 बजकर 7 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 30 मिनट तक।

धनतेरस पूजन विधि

  • मान्यता है कि, धनतेरस के दिन से ही माता लक्ष्मी सभी पर अपनी शुभ कृपा बरसाने लगती हैं। धनतेरस के दिन यानी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे ऐसे में इस दिन सुबह इनकी षोडशोपचार विधि की पूजा करनी चाहिए।
  • शाम के समय घर के हर कोनों में घी और सरसों के तेल का दीपक जलाकर रखें। धनतेरस पर घर के दक्षिण दिशा में भगवान यम के नाम का दीपक जरूर रखें।
  • धनतेरस पर शाम के वक्त उत्तर की ओर कुबेर और धनवंतरी की स्थापना करें। दोनों के सामने एक-एक मुख का घी का दीपक जरूर जलाएं।
  • भगवान कुबेर को सफेद मिठाई और धनवंतरी को पीली मिठाई को भोग लगाएं।
  • पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें। इसके बाद “धनवंतरि स्तोत्र” का पाठ करें।
  • पूजा के बाद दीपावली पर कुबेर को धन स्थान पर और धनवंतरी को पूजा स्थान पर स्थापित करें।

भगवान धन्वंतरि की आरती

जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।

(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)

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