
नई दिल्ली। भाजपा ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण की बदतर होती स्थिति के कारण दिल्ली सरकार से 5वीं कक्षा तक के सभी विद्यालयों को बंद करने का आदेश देने की बुधवार को मांग की और दावा किया कि शहर ‘गैस चैंबर’ बन गया है। राष्ट्रीय राजधानी में मौसम में पहली बार बुधवार को घना कोहरा छाया रहा और वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 366 दर्ज किया गया।
प्रदूषण को नियंत्रित करने में दिल्ली सरकार विफल
दिल्ली प्रदेश भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेवा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को खतरनाक वायु गुणवत्ता से बच्चों को बचाने के लिए पांचवीं कक्षा तक के सभी सरकारी और निजी स्कूल को बंद कर देना चाहिए। सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने में पूरी तरह विफल रही है और दावा किया कि पीएम 2.5 का स्तर 400 को पार कर गया है तथा पीएम 10 का स्तर 1,000 को पार कर गया है। उन्होंने कहा, “दिल्ली एक ‘गैस चैम्बर बन’ में तब्दील हो गई है, जहां हर कोई खांस रहा है और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहा है।”
प्रदूषण से बच्चे और बुजुर्ग सर्वाधिक पीड़ित
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि वायु प्रदूषण से सर्वाधिक पीड़ित बच्चे और बुजुर्ग हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से निपटने के लिए कोई सरकारी क्लीनिक दवा नहीं दे रही है। सचदेवा ने मांग की कि लोगों को प्रदूषण से बचाने के लिए दवाइयां वितरित करने की तत्काल व्यवस्था की जानी चाहिए।
दिल्ली में बैन के बावजूद जमकर हुई आतिशबाजी
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने 1 जनवरी 2025 तक पटाखों को बैन किया था। पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी। इसके साथ ही इनकी ऑनलाइन डिलीवरी पर भी रोक लगाई गई थी, फिर भी आतिशबाजी हुई।
राजधानी दिल्ली में सर्दियों के समय हर बार प्रदूषण बढ़ जाता है। राजधानी में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सरकार की तरफ से प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए अलग-अलग उपाय किए जाते हैं। ऐसे में दिवाली के समय पटाखों की खरीद-बिक्री पर रोक भी एक उपाय होता है। इसके बावजूद दीवाली के दिन लोग पटाखे फोड़ने से बाज नहीं आते हैं। पिछले साल भी बैन के बावजूद दिवाली के दिन खूब पटाखे फोड़े गए थे।
जानिए एयर क्वालिटी और उसका प्रभाव
- 0-50 गुड न्यूनतम प्रभाव।
- 51-100 सेटिसफेक्टरी संवेदनशील लोगों को सांस लेने में मामूली तकलीफ।
- 101-200 मॉडरेट फेफड़े, दमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ।
- 201-300 पुअर ज्यादातर लोगों को लंबे समय तक सांस लेने में तकलीफ।
- 301-400 वेरी-पुअर लंबे समय तक संपर्क में रहने से सांस की बीमारी।
- 401-500 सीवियर स्वस्थ लोगों पर प्रभाव और बीमार वाले लोगों पर गंभीर रूप से प्रभाव।