
पुरी/कोलकाता। बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती तूफान ‘दाना’ आज यानी 24 अक्टूबर की देर रात करीब 2 बजे ओडिशा के तट से टकराएगा। तूफान का असर ओडिशा के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और आसपास के राज्यों पर भी पड़ने की संभावना है। इस वक्त धामरा पोर्ट और उसके आस-पास के क्षेत्रों में 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, चक्रवात का लैंडफॉल भितरकनिका नेशनल पार्क और धामरा पोर्ट के पास होगा और लैंडफॉल की प्रक्रिया लगभग 5 घंटे चलेगी।
120 किमी की रफ्तार से चल सकती हैं हवाएं
तूफान के कारण भारी बारिश और तेज हवाएं चलने का अनुमान है। ओडिशा के उत्तरी हिस्सों से गुजरते समय हवाओं की गति 120 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है, जिससे तटीय इलाकों में बड़े पैमाने पर नुकसान की आशंका है। राज्य सरकार ने एहतियात के तौर पर 14 जिलों के 10 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है और व्यापक स्तर पर राहत अभियान शुरू किया है। दाना चक्रवात के कारण तटीय इलाकों में 20 सेमी और भद्रक व केंद्रपाड़ा सहित कुछ इलाकों में 30 सेमी तक बारिश हो सकती है।
300 फ्लाइट्स और 552 ट्रेनें रद्द
भुवनेश्वर और कोलकाता एयरपोर्ट पर चक्रवात के कारण उड़ानों पर बड़ा असर पड़ा है। दोनों हवाई अड्डों पर आज शाम 5 बजे से 25 अक्टूबर सुबह 9 बजे तक 300 से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गई हैं। रेलवे सेवाएं भी बाधित हैं, जहां विभिन्न रेलवे जोन ने 552 ट्रेनें रद्द कर दी हैं। इसमें साउथ ईस्ट रेलवे की 150 ट्रेनें, ईस्ट कोस्ट रेलवे की 198 ट्रेनें, ईस्टर्न रेलवे की 190 ट्रेनें, साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे की 14 रद्द की गई ट्रेनें शामिल हैं। पुरी के जगन्नाथ मंदिर परिसर में सावधानी बरतते हुए अस्थाई टेंट हटा दिए गए हैं और एस्बेस्टस की छतों पर रेत की बोरियां रखी गई हैं, ताकि तेज हवाओं में वे उड़ न जाएं। वहीं, कोणार्क मंदिर को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।
288 राहत और आपदा प्रबंधन टीमें तैनात
ओडिशा सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए 288 टीमें तैनात की हैं। इनमें NDRF, ODRF और फायर ब्रिगेड की टीमें शामिल हैं। तूफान से प्रभावित क्षेत्रों में 14 जिलों के सभी स्कूल, कॉलेज और पर्यटन स्थल 25 अक्टूबर तक बंद कर दिए गए हैं। ओडिशा हाईकोर्ट को भी 25 अक्टूबर तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने तूफान से निपटने के लिए उच्च स्तरीय बैठक की और सभी तैयारियों की समीक्षा की। सरकार ने होटल बुकिंग भी अगले चार दिनों के लिए रोक दी है और सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
चक्रवात से सात राज्य होंगे प्रभावित
- ओडिशा के 30 में से 14 तटीय जिलों में चक्रवात के गंभीर असर होने का अनुमान है। अंगुल, नयागढ़, बालेश्वर, मयूरभंज, भद्रक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, कटक और अन्य जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। इन क्षेत्रों में 6,000 राहत शिविर तैयार किए गए हैं। साथ ही NDRF की 20, ODRF की 51 और फायर ब्रिगेड की 178 टीमों की तैनाती की गई है।
- पश्चिम बंगाल के पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, दक्षिण और उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली और कोलकाता भारी बारिश का अनुमान है। आठ जिलों में 23 से 26 अक्टूबर तक स्कूल बंद कर दिए गए हैं और 85 राहत टीमें तैनात की गई हैं।
- आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो सकती है। IMD के अनुसार, यहां 30 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान है। यहां राहत कार्यों के लिए NDRF की 9 टीमें तैनात की गई हैं।
- झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, सिमडेगा और अन्य जिलों में भी बारिश का असर दिखेगा। राज्य में राहत कार्यों के लिए 9 NDRF टीमें तैनात की गई हैं।
- छत्तीसगढ़ में 8 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। 25 से 27 अक्टूबर तक छिटपुट बारिश और 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है। यहां भी एक NDRF टीम तैनात की गई है।
- बिहार के भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर, गया, पूर्णिया और अन्य जिलों में भी बारिश होगी। हवाओं की रफ्तार 20 से 40 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
- तमिलनाडु और दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों में भी अगले पांच दिनों तक भारी बारिश का पूर्वानुमान है।
कैसे पड़ा चक्रवात का नाम ‘दाना’
‘दाना’ नाम कतर द्वारा प्रस्तावित किया गया है, जिसका अर्थ ‘उदारता’ होता है। चक्रवातों का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाता है। साल 2000 में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग के तहत यह प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस सूची में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे।
2018 में इस सूची में पांच और देशों ईरान, कतर, सऊदी अरब, UAE और यमन को भी जोड़ा गया। नामकरण का उद्देश्य चक्रवात प्रभावित देशों में जागरुकता बढ़ाना और संचार प्रणाली को बेहतर बनाना है। चक्रवातों के नाम क्षेत्रीय भाषाओं से लिए जाते हैं, जिससे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है।