
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के पोस्टर बॉय विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की मंशा जाहिर कर दी है। कोहली का यह फैसला भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कोहली ने यह जानकारी BCCI को दे दी है, लेकिन बोर्ड ने उन्हें अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है। BCCI चाहता है कि कोहली इंग्लैंड के अहम दौरे से पहले अपने निर्णय को टालें। फिलहाल कोहली ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
टेस्ट से पहले रोहित ने भी लिया संन्यास
कोहली से पहले भारतीय कप्तान रोहित शर्मा भी टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर चुके हैं। उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया पर अपने संन्यास की जानकारी दी थी। अब कोहली के फैसले ने टीम इंडिया की टेस्ट लाइनअप को और भी कमजोर कर दिया है।
अपने हालिया प्रदर्शन से कोहली खुद निराश
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में कोहली का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा। उन्होंने इस सीरीज में 23.75 की औसत से रन बनाए और 9 पारियों में कुल 190 रन बनाए, जिसमें एक नाबाद शतक शामिल था। वह 8 में से 7 बार ऑफ स्टंप की गेंदों पर आउट हुए।
पिछले 5 वर्षों में उन्होंने 37 टेस्ट में सिर्फ 3 शतक लगाए हैं और उनका औसत 35 से भी नीचे रहा है। हालांकि, टी-20 से संन्यास लेने के बाद IPL 2025 में वे शानदार फॉर्म में लौटे और अब तक 11 मैचों में 505 रन बना चुके हैं।
आंकड़ों में विराट का जलवा
विराट कोहली ने अब तक 123 टेस्ट मैचों में 9,230 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 30 शतक और 31 अर्धशतक भी जड़े हैं। उनका टेस्ट करियर भारत की बल्लेबाजी विरासत का चमकता अध्याय रहा है।
- उन्होंने सबसे ज्यादा 14 शतक भारत में, और 9 शतक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए हैं।
- बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने सबसे कम यानी 2 शतक, जबकि न्यूजीलैंड में सिर्फ 1 शतक लगाया है।
कप्तानी में विराट का दबदबा
जब बात टेस्ट कप्तानी की होती है, तो विराट कोहली महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा से काफी आगे नजर आते हैं। कोहली ने भारत में सभी 11 टेस्ट सीरीज जीतीं, जो किसी भी भारतीय कप्तान के लिए एक रिकॉर्ड है।
धोनी और रोहित दोनों की कप्तानी में भारत को घरेलू मैदान पर टेस्ट सीरीज में हार का सामना करना पड़ा था। कोहली ने 2015 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू कप्तानी की शुरुआत की थी, जहां भारत ने 4 टेस्ट की सीरीज को 3-0 से जीता था।
अश्विन और जडेजा के स्पिन अटैक के साथ कोहली की आक्रामक फील्डिंग रणनीति ने टीम को एक नई पहचान दी। उनकी कप्तानी में भारत घरेलू धरती पर अजेय रहा।