ताजा खबरराष्ट्रीय

भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, पीएम और विदेश मंत्री से मांगा जवाब, कहा- अमेरिका कैसे कर सकता है सीजफायर की घोषणा?

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को घोषित सीजफायर पर कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से कई गंभीर सवाल पूछे हैं। कांग्रेस नेताओं ने इस सीजफायर में अमेरिका की भूमिका पर संदेह जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने और संसद का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग की है।

कांग्रेस का सवाल- अमेरिका ने कैसे की सीजफायर की घोषणा

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस यह सवाल पूछ रही है कि आखिर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक के बीच संघर्षविराम की घोषणा क्यों की? यह पहली बार है जब किसी तीसरे देश ने इस तरह की घोषणा की है।

रमेश ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी इस पर खामोश हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो का कहना है कि अमेरिका की भूमिका इतनी अहम थी कि उनके कारण ही युद्ध रुका।”

उन्होंने सवाल उठाया कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर भी इस पर कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम बार-बार पूछ रहे हैं कि अमेरिका की भूमिका क्या है और भारत सरकार इस पर चुप क्यों है?”

कश्मीर पर कोई मध्यस्थता नहीं स्वीकार

रमेश ने आगे कहा कि कश्मीर पर कोई भी चर्चा केवल भारतीय संसद में हो सकती है। किसी तीसरे देश को इसमें मध्यस्थता करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी भारतीय सेना और आतंकवाद के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के साथ चट्टान की तरह खड़ी है।

सीजफायर के जवाब में कांग्रेस का पोस्टर- ‘इंदिरा होना आसान नहीं’

सीजफायर की घोषणा के ठीक एक दिन बाद कांग्रेस ने दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय के बाहर एक पोस्टर लगाया जिसमें लिखा था, ‘इंदिरा होना आसान नहीं’। इस पोस्टर में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान की हार और जनरल नियाजी के आत्मसमर्पण की तस्वीरें भी शामिल थीं। इसके साथ ही लिखा गया– ‘इंडिया मिस इंदिरा’, यानी ‘भारत को इंदिरा की याद आ रही है।’

कांग्रेस ने सीजफायर को लेकर सवाल उठाया है,

पहला, जो मध्यस्थता हुई है, क्या भारत सरकार ने इसे स्वीकार किया है? दूसरा, अमेरिका ने किन शर्तों पर ऐसी घोषणा की, यह एक बड़ा सवाल है। इसमें कश्मीर का उल्लेख भी हुआ है। तीसरा, कूटनीति की अपनी भूमिका होती है, लेकिन अगर वॉशिंगटन से इस तरह सीजफायर की घोषणा होती है, तो कई सवाल उठते हैं। चौथा, इस मामले पर भारतीय थल सेना के पूर्व जनरल ने जो बातें कही हैं, हमें उन पर ध्यान देना चाहिए। पांचवा, सीजफायर की घोषणा के बाद सीमा पर जो उल्लंघन हुए, वे इसकी विश्वसनीयता को खत्म करते हैं।

खड़गे और राहुल गांधी की मांग, विशेष सत्र बुलाएं पीएम

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। यह पत्र विशेष रूप से पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर चर्चा के लिए लिखा गया है। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब देश को विश्वास में लेने के लिए संसद में खुलकर बहस होनी चाहिए।

अमेरिका के दोहरे रवैये पर सचिन पायलट ने उठाए सवाल

कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “अमेरिका दो दिन पहले कहता है कि इस मुद्दे से उसका कोई लेना-देना नहीं है, फिर अचानक वॉशिंगटन से सीजफायर की घोषणा होती है। क्या यह सब कुछ भारत सरकार की जानकारी में हुआ? किन शर्तों पर यह घोषणा हुई? क्या इसमें कश्मीर का कोई संदर्भ शामिल है?”

उन्होंने यह भी कहा कि डिप्लोमेसी का एक अहम रोल है, लेकिन जब कोई तीसरा देश इस तरह से घोषणा करता है, तो सवाल उठना लाजमी है।

पायलट ने कहा कि संघर्षविराम की घोषणा के बाद भी सीमा पर उल्लंघन की खबरें आईं, जिससे इस सीजफायर की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा, “अगर सीमा पर उल्लंघन जारी है, तो इसका मतलब है कि शांति की गारंटी नहीं दी जा सकती।”

सरकार बताए किन शर्तों पर हुआ सीजफायर- पायलट

सचिन पायलट ने मांग की कि सरकार को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि यह संघर्षविराम किन शर्तों पर हुआ है। उन्होंने कहा कि एक नई सर्वदलीय बैठक बुलाकर प्रधानमंत्री स्वयं उसमें भाग लें और सभी दलों को विश्वास में लें। उन्होंने कहा, “पिछली दो बैठकों में प्रधानमंत्री शामिल नहीं हुए थे, ऐसे में अब एक और बैठक जरूरी है।”

ये भी पढ़ें- तुर्की के सेब और मार्बल का जोरदार ‘बॉयकॉट’, ट्रैवल कंपनियां भी हुईं खिलाफ, पाकिस्तान के सपोर्टर का जमकर हो रहा विरोध

संबंधित खबरें...

Back to top button