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कोयंबटूर : पीरियड्स के कारण दलित छात्रा को क्लास से निकाला बाहर, सीढ़ियों पर बैठाकर दिलवाई परीक्षा; प्रिंसिपल सस्पेंड

कोयंबटूर। तमिलनाडु के कोयंबटूर से एक चौंकाने वाली और शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां 8वीं कक्षा की एक दलित छात्रा को मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान परीक्षा में अलग-थलग बैठाया गया। बच्ची को सीढ़ियों पर बैठाकर परीक्षा दिलवाई गई। यह घटना सेनगुट्टईपालयम स्थित स्वामी चिद्भावनंद मैट्रिक हायर सेकेंडरी स्कूल की है।

इस घटना का 1.22 मिनट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें छात्रा सीढ़ियों पर बैठी दिख रही है। मामला सामने आते ही हड़कंप मच गया और स्कूल प्रशासन के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए। स्कूल की प्रिंसिपल को भी सस्पेंड कर दिया गया है।

क्या हुआ था 5 अप्रैल को?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 अप्रैल को परीक्षा के दौरान बच्ची को पीरियड्स शुरू हुए। इसके बाद स्कूल की हेडमिस्ट्रेस ने उसे क्लासरूम के बाहर सीढ़ियों पर बैठकर परीक्षा देने के लिए मजबूर किया। बच्ची ने वीडियो में बताया कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी उसे अलग-अलग जगहों पर परीक्षा देने के लिए कहा गया था।

वीडियो में मां-बेटी की बातचीत

बच्ची एक महिला से बात करती सुनाई दे रही है। माना जा रहा है कि महिला बच्ची की मां होगी। वायरल वीडियो में बच्ची से पूछा गया कि, “अगर तुम जवान हो जाओगी तो क्या वे तुम्हें क्लास में परीक्षा नहीं देने देंगे?”

इस सवाल से साफ है कि मां को भी स्कूल प्रशासन के व्यवहार पर गुस्सा और दुख था।

स्कूल प्रशासन ने मां पर ही डाला आरोप

हालांकि, स्कूल प्रशासन ने दावा किया कि बच्ची की मां ने ही उसे बाहर बैठाकर परीक्षा दिलवाने को कहा था। इस पर मां ने सफाई देते हुए कहा,”मैंने बस इतना कहा था कि उसे थोड़ा अलग बैठा दें, लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि उसे क्लास से बाहर निकाल दिया जाए।”

सरकार की कार्रवाई और मंत्री का बयान

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री अनबिल महेश ने कहा, “बच्चों के साथ किसी भी स्थिति में भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति है।”

उन्होंने छात्रा को आश्वासन देते हुए कहा- बेटा, तुम अकेली नहीं हो। हम तुम्हारे साथ हैं और हमेशा रहेंगे।

उन्होंने बताया कि स्कूल की प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है और मामले की जांच प्राइवेट स्कूल एजुकेशन डायरेक्टर डॉ. एम पलामीसामी को सौंपी गई है। दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मासिक धर्म और स्कूलों में भेदभाव

यह घटना उस समय सामने आई है जब नवंबर 2024 में केंद्र सरकार ने मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी को मंजूरी दी है। इस पॉलिसी का उद्देश्य छात्राओं में पीरियड्स को लेकर समझ बढ़ाना और सामाजिक भेदभाव को खत्म करना है।

कुछ अहम आंकड़े (UNICEF/WHO रिपोर्ट):

  • सिर्फ 34% प्राइमरी स्कूलों में मेन्स्ट्रुअल हाइजीन एजुकेशन दी जाती है।
  • 3 में से 1 स्कूल में ही मेन्स्ट्रुअल उत्पादों के डिस्पोज़ल की सुविधा है।
  • एक चौथाई लड़कियां पीरियड्स के दौरान स्कूल नहीं जातीं, क्योंकि टॉयलेट नहीं होते।

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