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सोशल मीडिया पर चैट करना वर्किंग कपल्स को बना रहा मानसिक रोगी

पैरानाइट डिल्यूजन डिसीज से पीड़ित हो रहेलोग, पिछले 4 माह में 6 से अधिक दपंति अपने पार्टनर को लेकर पहुंचे जिला अस्पताल

हर्षित चौरसिया-जबलपुर। सोशल मीडिया पर अपने काम को लेकर की जाने वाली चैट वर्किंग कपल्स को मानसिक रोगी बना रही है। इस प्रकार के मामलों में सामने आया है कि सोसल मीडिया पर की जाने वाली इस चैट से पैरानाइट डिल्यूजन नामक मानसिक बीमारी लोगों में तेजी से बढ़ रही है। स्थिति यह है कि ट्रस्ट इश्यू (विश्वास पर संदेह) होने के चलते पति-पत्नी विवाद के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञों के पास अपने पार्टनर की शिकायत को लेकर पहुंचते हैं।

जिला अस्पताल में पिछले 4 माह में करीब 6 से अधिक दपंति अपने पार्टनर को लेकर पहुंचे हैं। अभी इनका उपचार चल रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति मेडिकल कॉलेज जबलपुर के मानसिक रोग विभाग की भी है, जहां पर हर माह एक से दो केस इस बीमारी से पीड़ित सामने आ रहे हैं। इनका उपचार हो रहा है।

केस-1

जबलपुर निवासी एक युवक जिसकी शादी करीब 10 माह पहले हुई थी, उसे अपनी पत्नी पर चैट पर लगातार बने रहने पर संदेह हुआ। युवक ने पत्नी के मेल और सोशल मीडिया पर बने अकाउंट के पासवार्ड जानने के बाद उसकी कंप्यूटर पर जानकारी निकालना शुरू कर दी। पत्नी को जब पता चला तो वह अपने पति के साथ झगड़ते हुए मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग पहुंचीं। यहां पर काउंसलिंग कर चिकित्सक ने पति को बताया कि उसका पार्टनर नहीं, वह खुद एक बीमारी का शिकार हो गया।

केस-2

जिला अस्पताल मानसिक रोग विभाग के मनोचिकित्सक डॉ. रत्नेश कुररिया ने बताया कि मंडला निवासी 40 वर्षीय व्यक्ति अपनी पत्नी द्वारा मोबाइल पर चैट को चेक करने से परेशान होकर उसे लेकर आया था। वह सरकारी अधिकारी है और उसके अधीनस्थ महिला स्टाफ भी है। कार्य संबंधी चैट को लेकर पत्नी कुछ माह से शक कर रही है और गुड मार्निंग से लेकर गुड नाइट तक के मैसेज को चेक कर रही है। इस पर उन्होंने काउंसलिंग कर बताया कि पत्नी मानसिक विकार से पीड़ित है और नियमित दवाओं के सेवन से वह ठीक हो जाएगी।

काउंसलिंग करने के बाद होता है इलाज

चिकित्सकों ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से अपने पार्टनर पर ट्रस्ट इश्यू होने पर दूसरा पार्टनर उसकी निगरानी करता है। इसे चिकित्सकीय भाषा में पैरानाइट डिल्यूजन डिसीज कहा जाता है। इसमें हम दंपति की काउंसलिंग कर पूरा मामला समझते हैं। इसके बाद पीड़ित कौन है, यह समझने के बाद दवाएं शुरू की जाती हैं। इस प्रकार के मामलों के मरीज अस्पताल में पहुंच रहे हैं, जिनका उपचार हो रहा है।

दंपतियों के बीच ट्रस्ट इश्यू बढ़ रहे हैं। वर्किंग कपल्स में पैरानाइट डिल्यूजन बीमारी का बढ़ता प्रभाव देखा जा रहा है। हर माह दो से तीन केस सामने आ रहे हैं। दवाओं से पीड़ित पूर्णत: ठीक हो सकता है। -प्रो. डॉ.ओपी रायचंदानी, विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग विभाग मेडिकल कॉलेज, जबलपुर

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