
Chaitra Navratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 मार्च यानी आज से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके मां दुर्गा के पहले स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इन्हें नवदुर्गा का प्रथम रूप माना जाता है। इनकी आराधना से मन को शांति मिलती है और जीवन में स्थिरता आती है। हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है और नवमी तिथि को समापन।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांतिदायक है। वे वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं और उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल तथा बाएं हाथ में कमल का फूल होता है। देवी का यह रूप प्रकृति से प्रेम और शुद्धता का प्रतीक है। माता शैलपुत्री को सृष्टि की शक्ति माना जाता है।
कलश स्थापना 2025 शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का पहला मुहूर्त
- सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक, कलश स्थापना की शुभ अवधि 4 घंटे 8 मिनट की है।
कलश स्थापना का दूसरा मुहूर्त
- अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट, कलश स्थापना की कुल अवधि 49 मिनट है।
चैत्र नवरात्रि 2025 पहले दिन के शुभ समय
- प्रातः सन्ध्या: 05:04 AM से 06:13 AM तक
- अभिजीत मुहूर्त: 12:01 PM से 12:50 PM तक
- अमृत काल: 02:28 PM से 03:52 PM
- विजय मुहूर्त: 02:30 PM से 03:19 PM तक
- गोधूलि मुहूर्त: 06:37 PMसे 07:00 PM तक
- सायाह्न सन्ध्या: 06:38 PM से 07:47 PM तक
- निशिता मुहूर्त: 31 मार्च को 12:02 AM से 12:48 AM तक
शुभ योग और नक्षत्र
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 04:35 PM से मार्च 31 को 06:12 AM तक
- इन्द्र योग: प्रात:काल से 05:54 PM तक
- रेवती नक्षत्र: प्रात:काल से लेकर शाम 04:35 बजे तक, फिर अश्विनी नक्षत्र
कलश स्थापना सामग्री
मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, कलावा, जटा वाला नारियल, अशोक के पत्ते, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, एक मिट्टी का दीपक, मौली, अक्षत, हल्दी, फल, फूल।
पूजन विधि
- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विशेष रूप से की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान कर के स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- कलश स्थापना करें और उसमें जल भरकर आम या अशोक के पत्ते रखें।
- मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र को फूलों से सजाएं।
- कुमकुम, अक्षत, पुष्प और धूप-दीप अर्पित करें।
- गाय के घी का दीपक जलाएं और देवी के मंत्रों का जाप करें।
- मां शैलपुत्री को सफेद फूल और दूध से बनी मिठाई अर्पित करें।
शांति और समृद्धि के लिए मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें:
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”
भोग और प्रसाद : मां शैलपुत्री को दूध, घी और सफेद मिठाइयों का भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शुभता आती है।
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
- मां शैलपुत्री की पूजा से मानसिक शांति और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- यह नवदुर्गा की साधना का प्रथम चरण है, जो शक्ति प्राप्ति का आधार है।
- इनकी कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
- पहला दिन (30 मार्च) : माता शैलपुत्री की पूजा
- दूसरा दिन (31 मार्च) : माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
- तीसरा दिन (1 अप्रैल) : माता चंद्रघंटा की पूजा
- चौथा दिन (2 अप्रैल) : माता कूष्मांडा की पूजा
- पांचवा दिन (3 अप्रैल) : माता स्कंदमाता की पूजा
- छठा दिन (4 अप्रैल) : माता कात्यायनी की पूजा
- सातवां दिन (5 अप्रैल) : माता कालरात्रि की पूजा
- आठवां दिन (6 अप्रैल) : माता महागौरी की पूजा
- नौवां दिन (7 अप्रैल) : माता सिद्धिदात्री की पूजा और रामनवमी का पर्व
नवरात्रि के दौरान क्या करें?
- रोज़ाना मां दुर्गा की पूजा और आरती करें।
- व्रत रखें और सात्विक भोजन करें।
- नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाएं।
- कन्या पूजन और हवन करें।
- जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से बहुत अधिक है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दौरान व्रत और पूजा करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)