
Chaitra Navratri 2023 : इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च दिन बुधवार से हो रही है। लेकिन, इससे पूर्व ही पंचक लग रहा है। पंचक काल 19 मार्च दिन रविवार से शुरू हो रहे हैं। इस हिसाब से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत पंचक काल में होगी। पंचक की अवधि पांच दिन की होती है। अब लोगों के मन में सवाल है कि रोग पंचक में चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना कैसे होगी? आइए जानते हैं पंचक काल में शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि के बारे में…
चैत्र नवरात्रि की तिथि
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि शुरू होती है। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से आरंभ होकर 30 मार्च तक रहेगी। इस नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक रहेगी, ऐसा इसलिए होगा क्योंकि तिथियों में कोई घट-बढ़ की स्थिति नहीं बन रही है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां दुर्गा इस बार नौका की सवारी करके धरती पर आगमन करेंगी। माता का आगमन इस बार काफी शुभ रहेगा और डोली से मां की विदाई होगी।
चैत्र नवरात्रि पर शुभ योग
पंचक 19 मार्च से शुरू हो रहे हैं और 23 मार्च को खत्म होंगे। इस बार पंचक के साथ ही इस दिन 5 ग्रह एक साथ मीन राशि में संयोग बनाकर गोचर कर रहे होंगे। साथ ही कई शुभ योग भी इस दिन उपस्थित रहेंगे जैसे, गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शुभ योग, धर्मात्मा और राज लक्षण योग भी इस दिन बना रहेगा। ऐसे शुभ संयोगों के कारण पंचक को लेकर बिल्कुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
क्या पंचक में नहीं होती कलश स्थापना ?
मां दुर्गा की पूजा सभी अशुभ प्रभावों को दूर करती हैं। पंचक में कलश स्थापना पर रोक जैसी बात नहीं है। पंचक में कुछ कार्यों जैसे दक्षिण दिशा की यात्रा, छत बनवाना, चारपाई बनवाना, शैय्या निमाण आदि नहीं कराते हैं, इनकी मनाही होती है। जिस प्रकार से आप हर साल शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना या घट स्थापना करते हैं, उस विधि से ही इस बार भी कलश स्थापना होगी। क्योंकि, नवरात्रि के पावन प्रभाव से पंचक काल भी शुभता में बदल जाता है।
पांच प्रकार के होते हैं पंचक
मान्यता है कि पंचक काल में कोई कार्य करें तो उसकी आवृत्ति भी पांच बार होती है। इसलिए इस अवधि में किए गए कोई भी कार्य अशुभ फल देते हैं। पांच दिन के पंचक पांच प्रकार के होते हैं – रविवार को प्रारंभ होने वाले को रोग पंचक, सोमवार को प्रारंभ होने वाले को राज पंचक, मंगलवार को अग्नि पंचक और शनिवार को प्रारंभ होने वाले को मृत्यु पंचक कहा जाता है।
पंचक में न करें ये काम
पंचक काल के समय दक्षिण दिशा की यात्रा करने से बचें, क्योंकि यह यम की दिशा है। इस समय लकड़ी, तिनके तोड़ना, मकान की छत डालना, चारपाई-कुर्सी बनवाना, चटाई बुनना, पलंग व गद्दिया बनवाना आदि कार्य नहीं करवाए जाते। साथ ही गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, भूमि पूजन, शादी, मुंडन, नामकरण संस्कार के साथ रक्षा बंधन और भाई दूज का पर्व भी नहीं मनाया जाता है।
मां दुर्गा के नौ दिन
- पहला दिन 22 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां शैलपुत्री पूजा (घटस्थापना)
- दूसरा दिन 23 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां ब्रह्मचारिणी पूजा
- तीसरा दिन 24 मार्च 2023 दिन शुक्रवार: मां चंद्रघंटा पूजा
- चौथा दिन 25 मार्च 2023 दिन शनिवार: मां कुष्मांडा पूजा
- पांचवां दिन 26 मार्च 2023 दिन रविवार:मां स्कंदमाता पूजा
- छठवां दिन 27 मार्च 2023 दिन सोमवार: मां कात्यायनी पूजा
- सातवं दिन 28 मार्च 2023 दिन मंगलवार: मां कालरात्रि पूजा
- आठवां दिन 29 मार्च 2023 दिन बुधवार: मां महागौरी
- 9वां दिन 30 मार्च 2023 दिन गुरुवार: मां सिद्धिदात्री
(नोट: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। हम मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।)