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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- चुनाव नजदीक, रोक लगाई तो बिखर जाएगा सिस्टम

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2 नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने वाली याचिकाएं गुरुवार को खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि कारण बाद में बताए जाएंगे। कोर्ट ने कहा कि, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अधिनियम 2023 पर फिलहाल रोक नहीं लगा सकते, क्योंकि इससे अव्यवस्था फैल जाएगी। हालांकि कोर्ट ने कानून को चुनौती देने वाली मुख्य याचिकाओं की जांच करने का आश्वासन दिया है।

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले हाल ही में सरकार ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की गई थी। याचिकाकर्ता ने इनकी नियुक्ति रद्द करने के साथ ही चीफ जस्टिस को भी चयन कमिटी में रखने की मांग की थी। वहीं बेंच ने गुरुवार (21 मार्च) को याचिका खारिज करते हुए कहा कि, 2023 का फैसला नहीं कहता कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सिलेक्शन पैनल में ज्यूडीशियरी मेंबर होना चाहिए।

कोर्ट ने सरकार से 6 हफ्ते में मांगा जवाब

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र से पूछा कि चयन समिति को उम्मीदवारों के नाम पर विचार करने वक्त क्यों नहीं दिया। 2023 अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है। अब इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में होगी। याचिका कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर और NGO एशियन डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने दाखिल की थी। 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

इससे पहले केंद्र सरकार ने बुधवार 20 मार्च को हलफनामा दायर किया था। सरकार ने कहा था कि ये दलील गलत है कि किसी संवैधानिक संस्था की स्वतंत्रता तभी होगी, जब सिलेक्शन पैनल में कोई ज्यूडिशियल मेंबर जुड़े। इलेक्शन कमीशन एक स्वतंत्र संस्था है।

14 मार्च को हुई 2 नए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति

वे मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के संबंध में हाल में एक नया कानून लागू होने के बाद, निर्वाचन आयोग में नियुक्त किए गए पहले सदस्य हैं। बता दें कि अनूप चंद्र पांडे के 14 फरवरी को सेवानिवृत्त होने और आठ मार्च को अरुण गोयल के अचानक इस्तीफे के बाद निर्वाचन आयोग में ये पद खाली हो गए थे। 2 नए चुनाव आयुक्तों ज्ञानेश कुमार-सुखबीर संधु की नियुक्ति 14 मार्च को हुई है।

1988 बैच के IAS अधिकारी हैं ज्ञानेश और सुखबीर

ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू दोनों वर्ष 1988 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं। ज्ञानेश कुमार केरल कैडर से और सुखबीर सिंह संधू उत्तराखंड कैडर से आते हैं।

कौन हैं IAS ज्ञानेश कुमार

ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल-कैडर के IAS अधिकारी रहे हैं। उनका जन्म 1964 में उत्तर प्रदेश में हुआ था। मई 2016 में ज्ञानेश को गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव बनाया गया था। गृह मंत्रालय के साथ काम करते हुए उनकी जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक की तैयारी में भी सक्रिय भूमिका रही है। इसी के साथ वह गृह मंत्रालय में ज्ञानेश पदोन्नत होकर एडिशनल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।

ज्ञानेश कुमार के गृह मंत्रालय में नियुक्ति के दौरान ही अनुच्छेद-370 हटा था। बाद में उन्होंने बहु राज्य सहकारी समितियां संशोधन अधिनियम के अधिनियमन में भाग लिया। यूपीए शासनकाल में भी जब ए.के. एंटनी रक्षा मंत्री थे, ज्ञानेशकुमार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति का विकल्प चुना और उन्हें संयुक्त सचिव का पद सौंपा गया था।

उत्तराखंड कैडर के अफसर हैं डॉ. सुखबीर सिंह संधू

उत्तराखंड के मुख्य सचिव रहे सुखबीर सिंह संधू भी नए चुनाव आयुक्त बनाए गए हैं। डॉ. सुखबीर सिंह संधू 1988 बैच उत्तराखंड काडर के IAS अधिकारी हैं। संधू मूल रूप से उत्तराखंड कैडर के अफसर हैं। वे उत्तराखंड सरकार में कई अहम पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त सचिव के रूप में भी काम किया है।

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