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RBI MPC Meeting 2025 : अब लोन लेना होगा सस्ता..! रेपो रेट 6.25% से घटकर 6.0%, RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने किया ऐलान 

वित्त वर्ष शुरू होने के बाद 7 अप्रैल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग शुरू हुई। इस मीटिंग में हुए फैसलों को RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 9 अप्रैल सुबह 10 बजे शेयर किया। इसके आधार पर इस बार रेपो रेट 6.25% से घटाकर 6% कर दिया गया है। इसमें 0.25% की गिरावट आई है। इसका मतलब यह है कि आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं। साथ ही EMI में भी कमी आ सकती है। इसके साथ रेपो रेट घटने पर बैंक भी हाउसिंग और ऑटोमोबाइल लोन पर ब्याज दरों को कम कर सकते हैं। बता दे कि वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी मीटिंग में RBI ने ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था।   

इसके साथ हाउसिंग और ऑटो पर ब्याज दर कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी, जिससे ज्यादा रियल एस्टेट में निवेश होगा। 

कैसे रेपो रेट से सस्ता होता है लोन?

RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों के लोन सस्ता मिलता है, तो वो अक्सर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।

क्या है महंगाई कण्ट्रोल करने का आसान तरीका

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास महंगाई को कंट्रोल करने का सबसे असरदार तरीका होता है- पॉलिसी रेट। जब महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ा देता है ताकि बाजार में पैसे की मात्रा कम हो जाए।

पॉलिसी रेट बढ़ने से बैंकों को सेंट्रल बैंक से कर्ज लेना महंगा पड़ता है। ऐसे में बैंक भी लोगों को लोन महंगे रेट पर देने लगते हैं। जब लोन महंगे हो जाते हैं, तो लोग कम कर्ज लेते हैं, जिससे बाजार में खर्च और डिमांड घटती है और महंगाई नीचे आने लगती है।

वहीं जब अर्थव्यवस्था कमजोर होती है या गिरावट में होती है, तब सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट घटा देता है ताकि बाजार में पैसे का फ्लो बढ़े। इससे बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और वे भी लोगों को सस्ते ब्याज पर लोन देने लगते हैं, जिससे खर्च बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है।

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