
BUDGET 2025 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल संसद में बजट पेश किया, जिसमें किसानों, इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और विमानन क्षेत्र में बड़ी घोषणाएं की गई। इस बार के बजट को बनाने में वित्त मंत्रालय, नीति आयोग, भारतीय रिजर्व बैंक, विभिन्न मंत्रालयों, उद्योग जगत, आर्थिक विशेषज्ञों और आम जनता की अहम भूमिका रही है। बजट निर्माण की यह प्रक्रिया महीनों पहले शुरू हो जाती है। इसमें आर्थिक डेटा का विश्लेषण किया जाता है, विभिन्न विभागों से सुझाव लिए जाते हैं और सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप योजनाएं बनाई जाती हैं। इस बार भी बजट को तैयार करने में कई प्रमुख संस्थानों और अधिकारियों ने मिलकर काम किया। आइए जानते हैं, इस बार के बजट को किन लोगों ने मिलकर तैयार किया।
बजट निर्माण के लिए वित्त मंत्रालय में चार प्रमुख विभाग
बजट बनाने की प्रक्रिया का नेतृत्व भारत का वित्त मंत्रालय करता है। यह मंत्रालय कई विभागों में बंटा होता है, जिनमें से चार प्रमुख विभाग बजट निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं:
- आर्थिक मामलों का विभाग: यह विभाग देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का आकलन करता है और बजट की रूपरेखा तैयार करने में मदद करता है।
- व्यय विभाग: सरकारी खर्चों की योजना बनाता है और विभिन्न मंत्रालयों के बजट आवंटन को अंतिम रूप देता है।
- राजस्व विभाग: कर नीति, टैक्स दरों और सरकारी आय से संबंधित फैसले करता है।
- वित्तीय सेवा विभाग: बैंकिंग, बीमा और वित्तीय संस्थानों से संबंधित मुद्दों पर काम करता है।
वित्त मंत्री और उनकी टीम
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस पूरे बजट निर्माण प्रक्रिया की प्रमुख होती हैं। उनके साथ वित्त मंत्रालय के कई उच्च अधिकारी और सलाहकार मिलकर बजट तैयार करते हैं। इस बार भी कुछ प्रमुख अधिकारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें शामिल हैं:
- तुहिन कांत पांडे (वित्त सचिव): तुहिन कांत पांडे ओडिशा से IAS अधिकारी हैं। यह बजट निर्माण की पूरी प्रक्रिया की निगरानी करते हैं और वित्तीय नीतियों को अंतिम रूप देते हैं।
- अजय सेठ (आर्थिक मामलों के सचिव): अजय सेठ इस विभाग की कमान सँभालते है जो अंतिम बजट दस्तावेज तैयार करता है। यह देश की आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करते हैं और बजट की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके ऊपर देश की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने का दबाव तो है ही, साथ ही सरकार की कमाई और खर्च के बीच के अंतर को भी बैलेंस करना है।
- वी अनंत नागेश्वरन (मुख्य आर्थिक सलाहकार): अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का आकलन कर सरकार को सलाह देते हैं। अनंत नागेश्वरन ने प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार के रूप में भी काम किया है।
- मनोज गोविल (कॉरपोरेट मामलों के सचिव): मनोज गोविल मध्यप्रदेश में IAS अधिकारी है जो कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े वित्तीय मामलों पर काम करते हैं। सरकार का पैसा की तरह से इस्तेमाल हो, ये भी इनकी जिम्मेदारी है।
- एम नागराजू (राजस्व सचिव): त्रिपुरा से IAS अधिकारी नागराजू नीतियों और सरकारी राजस्व से जुड़े फैसले तय करते हैं।
- अरुनीश चावला (वित्तीय सेवा सचिव): चावला डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट में सचिव है। इनके पास एसेट मोनीटाईजेशन में तेजी लाने की जिम्मेदारी है। यह बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं के प्रबंधन पर ध्यान देते हैं।
थिंक टैंक के रूप में काम करता है नीति आयोग
नीति आयोग, जो सरकार के थिंक टैंक के रूप में काम करता है, भी बजट बनाने में योगदान देता है। यह विभिन्न मंत्रालयों और उद्योग विशेषज्ञों से इनपुट लेकर सरकार को आर्थिक सुधारों और योजनाओं पर सुझाव देता है। इस बार नीति आयोग ने स्टार्टअप्स, डिजिटल इंडिया, ग्रीन एनर्जी और ग्रामीण विकास से जुड़े कई अहम सुझाव दिए।
मंत्रालयों के बजट आवंटन पर निर्णय लेती है सरकार
हर मंत्रालय अपने-अपने विभाग से जुड़े खर्च और योजनाओं को लेकर वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजता है। इसके बाद, सरकार उनके बजट आवंटन पर निर्णय लेती है। बजट में कृषि मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और अन्य प्रमुख मंत्रालयों का योगदान रहता है।
बजट में RBI और व्यापारियों का महत्वपूर्ण योगदान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी बजट निर्माण में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देता है। यह इन्फ्लेशन, ब्याज दरों और आर्थिक स्थिति से जुड़े आंकड़े सरकार को प्रदान करता है।
इसके साथ बजट तैयार करने से पहले सरकार उद्योग जगत, छोटे व्यापारियों, स्टार्टअप कंपनियों और आर्थिक संगठनों से राय ली जाती है। इस बार भी सरकार ने फिक्की (FICCI), एसोचैम (ASSOCHAM) और भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) जैसे संगठनों से चर्चा की और उनकी सिफारिशें ली है।
कैसे तैयार होता है बजट का अंतिम ड्राफ्ट?
बजट तैयार होने के अंतिम चरण को हलवा समारोह के रूप में मनाया जाता है। यह एक परंपरा है जिसमें वित्त मंत्रालय के अधिकारी और कर्मचारी बजट दस्तावेजों की छपाई शुरू होने से पहले हलवा खाते हैं। इसके बाद, बजट टीम को पूरी गोपनीयता के तहत लॉकडाउन में रखा जाता है ताकि किसी भी जानकारी का लीक न हो।
बजट का अंतिम ड्राफ्ट गोपनीयता के साथ तैयार किया जाता है। सभी मंत्रालयों, संस्थानों और विशेषज्ञों से मिले सुझावों के बाद वित्त मंत्रालय की एक कोर टीम इसे अंतिम रूप देती है। बजट पेश करने से पहले प्रधानमंत्री के साथ चर्चा होती है, फिर कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे संसद में पेश किया जाता है।
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