भोपाल। रिसर्च वर्क के आधार पर पुस्तकें आ रही हैं, जिसमें इतिहास के जाने-माने चेहरे व शख्सियतों का उल्लेख व उनका बदलता नजरिया पेश किया जा रहा है। युद्ध की विभीषिका को टालकर बातचीत से मसले हल करने की बात करती किताब पौराणिक पात्रों के संदर्भों व युवाओं को मोटिवेट करती किताबें आई हैं।
सावरकर
लेखक विक्रम संपत पुस्तक ‘सावरकर ए कॉन्टेस्टेड लिगेसी 1924-1966 के जरिये बीसवीं सदी के विवादास्पद राजनीतिक विचारक और नेता विनायक दामोदर सावरकर के कार्यों को प्रकाश में लाए हैं। पेंगुइन विकिंग द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक बताती है कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में जो हिंदू-मुस्लिम एकता के कट्टर समर्थक थे ऐसा उनके साथ क्या हुआ था कि वे ‘हिंदुत्व’ के समर्थक के रूप में बदल गए। अखिल भारतीय विदेशी अभिलेखागारों और पुस्तकालयों से लगभग पांच वर्षों के गहन शोध के बाद गलत समझे जाने वाले व्यक्ति की समग्र तस्वीर की पेश की है।
मैं हनुमान
युद्ध किसी भी सभ्यता, संस्कृति के लिए सुपरिणाम नहीं लाते। परिस्थितियां कुछ भी हों, यथासंभव दोनों पक्षों को युद्ध से बचना चाहिए। मैं हनुमान शीर्षक से पवन कुमार की पुस्तक उपन्यास शैली में है, जिसका प्रकाशन सर्वत्र इमप्रिंट द्वारा किया गया है। लेखक ने लिखा है, हमेशा से ही यह परम्परा रही है कि युद्ध की विभीषिका से बचने के लिए जो भी प्रयास हो सकते हों, कर लेने चाहिए। यह राजनीति की तो मांग है ही, लोकनीति भी इसी से प्रशासित होती है। मर्यादा पुरुषोत्तम इस नीति का पालन न करें, यह संभव न था। वे चाहते थे कि युद्ध की भयावहता के बिना ही रावण मान जाए।
हौसले की ऊंची उड़ान
हौसले की ऊंची उड़ान सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने की गौरवगाथा भर नहीं है। लेखक सुरेंद्र मोहन की पुस्तक को प्रभात पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। पुस्तक युवाओं को कर्तव्यपथ पर पूरी लगन के साथ चलने के लिए प्रेरित करती है। लेखक ने इस इस पुस्तक में लिखा है कि इसको पढ़ने के बाद यदि एक युवा भी अपने धुंधले पड़ गए लक्ष्य की ओर चलने के लिए प्रेरित होता है, तो पुस्तक का लेखन और प्रकाशन सफल होगा। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियों, परीक्षा व उसके बाद की प्रक्रिया की सजीव कहानी हर अभ्यर्थी को लगभग अपनी लगेगी।