Mithilesh Yadav
18 Sep 2025
Hemant Nagle
18 Sep 2025
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18 Sep 2025
भोपाल। प्रदेश में लोकसभा की सभी 29 सीटें जीतने के बाद भी भाजपा को 20 फीसदी अर्थात करीब 13 हजार बूथों पर पार्टी का जनाधार बढ़ाने की चिंता सता रही है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान इन बूथों पर भाजपा का वोट कम रहा अथवा घट गया। इनमें कुछ बूथ ऐसे भी हैं जहां भाजपा को कभी जीत नहीं मिल पाई। बाकी बूथों पर राजनीतिक और जातीय समीकरण के अलावा अन्य दूसरे कारण उसकी राह के रोड़ा बनते रहे।
पार्टी हाईकमान ने अब इन क्षेत्रों की तस्वीर बदलने प्रदेश इकाई को कार्ययोजना बनाने का टास्क सौंपा है। प्रदेश में कुल 64523 बूथ हैं। प्रदेश भाजपा के बूथ प्रबंधन मॉडल की राष्ट्रीय नेतृत्व सराहना कर चुका है। लेकिन अब प्रदेश के ऐसे 20 फीसदी कमजोर बूथों को लेकर रणनीति बनाने को कहा गया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन बूथों को लोकसभा चुनाव के बाद चिन्हित कर लिया गया है। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भाजपा इनमें से 1200 ऐसे बूथों को जीत चुकी है जहां इसके पहले कभी कमल नहीं खिला था। लोकसभा चुनाव में जहां जनाधार घटा अब उन क्षेत्रों के लिए काम शुरू किया जा रहा है।
विस चुनाव 2023 में भाजपा ने प्रदेश की 163 और कांग्रेस ने 66 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के अनुसार 29 संसदीय क्षेत्रों में भाजपा ने 200 से अधिक विधानसभाओं में बढ़त हासिल कर ली थी। इसके बावजूद 20 फीसदी बूथों पर उसका जनाधार नहीं बढ़ पाया। कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां भाजपा को कभी बढ़त नहीं मिली। इसकी वजह जाति, वर्ग और अन्य सियासी कारण रहे।
प्रदेश में भाजपा संगठन के मंत्री और बूथ प्रबंधन प्रभारी रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि हम कमजोर बूथों का विश्लेषण कर रहे हैं। इन बूथों पर बढ़त हासिल करने की रणनीति पर भी काम चल रहा है। कुछ क्षेत्रों में विशेष वर्ग, जाति और सियासी वजह से भाजपा को नुकसान हुआ। कुछ बूथ ऐसे भी थे जहां निर्दलीय और जातिवादी प्रत्याशी से वोट बंट गए।