भोपालमध्य प्रदेश

जहांगीराबाद में धड़ल्ले से बिक रहे विलुप्त प्रजाति के कछुए, वन विभाग को कार्रवाई की सुध नहीं

हाल ही में स्टार प्रजाति का कछुआ पालने पर एक बुजुर्ग को भेजा है जेल

(साकिब खान) भोपाल। स्टार प्रजाति का कछुआ श्रेणी-चार यानी विलुप्त प्रजाति का वन्यजीव है। हाल ही में इस प्रजाति का कछुआ पालने के जुर्म में अरेरा कॉलोनी में रहने वाले हाउसिंग बोर्ड के करीब 70 वर्षीय एक रिटायर्ड अधिकारी को वन विभाग की उड़नदस्ता टीम ने पकड़ा था। बुजुर्ग को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। वह कछुआ नागौर, राजस्थान से लेकर आए थे।

इधर, राजधानी के जहांगीराबाद इलाके में इस प्रजाति के कछुए की खरीद-बिक्री धड़ल्ले से हो रही है, उस पर विभाग की नजर नहीं है। पीपुल्स संवाददाता ने रविवार को अपनी पहचान छुपाकर जहांगीराबाद इलाके में कछुओं का कारोबार करने वाले कुछ लोगों से बात की। इन्होंने बताया कि उनके पास हर प्रजाति का कछुआ मौजूद है।

इन कछुओं की कीमत एक हजार से 50 हजार रुपए तक हो सकती है। इन लोगों का कहना था कि आपको जिस प्रजाति का कछुआ चाहिए, उसका फोटो दिखाइये। थोड़ी देर में कछुआ आपको मिल जाएगा। इन्होंने बताया कि कछुए दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र के अलावा विदेशों से भी मंगाए जाते हैं।

ऐसे तय होती है श्रेणी

सभी वाइल्ड एनीमल अलग-अलग श्रेणियों में आते हैं। श्रेणी -1 में वे वन्यजीव रखे जाते हैं, जिनकी संख्या बहुत कम होती है। वहीं श्रेणी -2 में वह वन्यजीव आते हैं, जिनकी संख्या श्रेणी -1 से थोड़ी अधिक होती है। इसी तरह से यह श्रेणी बढ़ती जाती है।

थाईलैंड से चेन्नई के रास्ते लाए जाते हैं स्टार प्रजाति के कछुए

अगस्त 2020 में वन विभाग की उड़नदस्ता टीम ने एक कछुआ तस्कर को स्टार प्रजाति के 9 कछुओं के साथ पकड़ा था। उस समय पूछताछ में तस्कर ने बताया था कि ये कछुए थाईलैंड से मंगाए जाते हैं। फिर चेन्नई के रास्ते मध्यप्रदेश के अलग- अलग शहरों में भेजे जाते हैं। इसके अलावा उसने बताया था कि दो इंच साइज के कछुए भी चीन से मंगाए जाते हैं, जिसे आम तौर पर फिश एक्वेरियम में पालते हैं। हालांकि वन विभाग की टीम ने तस्कर से मिली जानकारी के आधार पर आगे किसी को नहीं पकड़ा।

नीमच और मंदसौर में भी पाई जाती है यह प्रजाति

इंडियन स्टार प्रजाति का कछुआ मध्यप्रदेश में नीमच और मंदसौर में भी पाया जाता है। यह श्रेणी-चार का वन्यजीव है। इसे घर में रखने के अपराध में अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है। इसकी घटती संख्या को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर संस्था ने इसे लुप्तप्राय श्रेणी में डाला है। इसके पालन और विक्रय पर पूरी तरह प्रतिबंध है। बावजूूद प्रदेश की राजधानी में खुलेआम यह कछुआ बिकता है, जिसके आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है।

वन विभाग लगाएगा पोस्टर

वन विभाग के अधिकरियों के अनुसार, जहांगीराबाद सहित शहर की उन जगहों पर जहां कछुओं की खरीद-बिक्री होती है, वहां पोस्टर लगाए जाएंगे। इसमें लिखा होगा कि कछुआ खरीदने पर कितनी सजा हो सकती है। इसका मकसद लोगों को अवेयर करना है। हालांकि, खुलेआम कछुए बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अधिकारियों ने किसी भी एक्शन प्लान का खुलासा नहीं किया है।

विलुप्त प्रजाति के कछुओं की खरीद-बिक्री पर होगी कार्रवाई

जहांगीराबाद मार्केट में विलुप्त प्रजाति के कछुओं की खरीद-फरोख्त हो रही है, तो वहां कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा हम जल्द ही इन दुकानों पर लोगों की अवेयरनेस के लिए पोस्टर भी लगवाएंगे, ताकि खरीदने से पहले लोगों को पता चले कि यह अपराध है। -आलोक पाठक, डीएफओ, भोपाल वन मंडल

 

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